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‘मायण’ मात्र एक कथानक नहीं है। यथार्थ के तानों-बानों पर आधारित यह मार्मिक अभिव्यक्ति जहाँ एक ओर कैंसर के उपचार से जुड़े विभिन्न आयामों पर प्रकाश डालती है, वहीं दूसरी ओर जीवन के उतार-चढ़ाव में निहित मानवीय एवं आध्यात्मिक दर्शन में अपनी पैठ बनाती है। बंधनों की अवस्था से गुजरती हुई यह कथा अपने मूल पात्र को उन्मुक्तता के उस मुकाम पर ले जाती है जहाँ सब अकथ हो जाता है।
कैंसर के साथ भी जीवन को सकारात्मक विचारों और बिना पीड़ा के जिया जा सकता है। यह पुस्तक कैंसर-पीडि़त के परिवार-जनों का भी भरपूर मार्गदर्शन करती है। चिकित्सा क्षेत्र में सक्रिय, स्वास्थ्य-सेवी ही नहीं, कैंसर के बारे में अधिकाधिक जानने की इच्छा रखनेवाले आम जन के लिए भी एक पठनीय उपन्यास।
जन्म : 1 जुलाई, 1947 को गाजीपुर (उ.प्र.) में।
शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी., डी. लिट्.।
डॉ. आनंद प्रकाश माहेश्वरी ने श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से स्नातक की डिग्री के उपरांत पोद्दार इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट से एम.बी.ए. पूर्ण किया। पुलिस सेवा में आने के बाद ‘सांप्रदायिक दंगों के प्रबंधन’ विषय पर अभिनव शोध करते हुए पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की।
अपने अनुभवों के आधार पर वे हिंदी तथा अंग्रेजी भाषा में रचनात्मक लेखन करते रहे हैं। अभी तक उनकी नौ पुस्तकें तथा चालीस से अधिक लेख प्रकाशित हुए हैं। उन्हें ‘गोविंद बल्लभ पंत’ पुरस्कार भी मिला है।
डॉ. माहेश्वरी 1984 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अनुभवी अधिकारी हैं। उत्तर प्रदेश के विभिन्न महानगरों में पुलिस प्रमुख के पद पर कार्य करने के साथ-साथ उन्होंने कानून व्यवस्था, अभिसूचना, अन्वेषण, सतर्कता एवं सुरक्षा आदि के क्षेत्र में भी कार्य करके अपनी योग्यता प्रमाणित की है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल तथा सीमा सुरक्षा बल में लगभग 12 वर्ष की दीर्घावधि में उन्होंने नॉर्थ-ईस्ट, कश्मीर, नक्सल प्रभावित राज्यों, सीमा सुरक्षा से जुड़े क्षेत्रों में भी प्रशंसनीय योगदान दिया है। अति विशिष्ट सेवाओं हेतु उन्हें राष्ट्रपति पदक, वीरता एवं कठिन सेवाओं हेतु अनेक पुलिस पदकों से अलंकृत किया गया है। समाज-सेवा के क्षेत्र में भी कई संगठनों से जुड़े हैं।
संपर्क :
anand.maheshwari21@gmail.com
एनडब्ल्यू-118, स्वामी बाग, आगरा-5