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हमारे पुरखे योद्धा पत्रकारों का जीवन इसी जिजीविषा का दूसरा नाम है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर निश्चय किया गया कि हिंदी पत्रकारिता के ऐसे शीर्षस्थ पुरोधा संपादकों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को मोनोग्राफ के रूप में सामने लाया जाए जिन्होंने अपनी उत्कृष्ट संपादन-दृष्टि से हिंदी-पत्रकारिता के आदर्श एवं उज्ज्वल प्रतिमान गढ़े हैं। इसी श्रृंखला श्रृंखला की एक कड़ी श्री मायाराम सुरजन एवं कर्पूर चंद्र कुलिश पर लिखा गया यह ग्रंथ है।
‘नवभारत’ नागपुर से अपना पत्रकारीय जीवन प्रारंभ करने वाले श्री मायाराम सुरजन को न केवल इसे बहुसंस्करणीय लोकप्रिय अखबार बनाने का श्रेय है वरन् वे इस समूह के ‘मध्य प्रदेश क्रॉनिकल’ पत्र के भी जनक थे, जो मध्य प्रदेश का पहला अंग्रेजी अखबार था। श्रीसुरजन ने अत्यल्प साधनें के साथ ‘नई दुनिया’ इंदौर के साथ द्विपक्षीय समझौता करके इसका रायपुर संस्करण शुरू किया।
दैनिक ‘राष्ट्रदूत’ से अपना पत्रकारीय जीवन प्रारंभ करनेवाले श्री कर्पूर चंद्र कुलिश ने कठोर परिश्रम एवं अनथक अध्यवसाय से ‘राजस्थान पत्रिका’ का विशाल साम्राज्य खड़ा करने का अप्रतिम कार्य किया। ‘राजस्थान पत्रिका’ के प्रकाशन में आई कठिनाइयों का सामना उन्होंने जिस साहस और दृढ़ता के साथ किया वह प्रेरणास्पद है।
सतीश जायसवाल
कृतित्व : 40 वर्षों की पत्रकारिता के दौरान अनेक पत्रिकाओं के लिए पत्रकारिता एवं लेखन। छत्तसगढ़ के शताधिक कवियों की कविताओं के एक वृहद् संकलन ‘कविता छत्तीसगढ़’ का संचयन व संपादन।
पुरस्कार : ‘द स्टेट्समैन अवार्ड फॉर रूरस रिपोर्टिंग’ लगातार दो बार। छत्तीसगढ़ शासन के संस्कृति विभाग के अंतर्गत संचालित पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजन पीठ, भिलाई के अध्यक्ष पद पर 4 वर्ष तक रहे।
आदर्श शर्मा
शिक्षा : एम.ए. (अंग्रेजी), एम.ए. (हिंदी), पी-एच.डी. डिप्लोमा इन जर्नलिज्म।
प्रकाशन : चाय व्यंग्य संग्रह, दो मोनोग्राफ, एक शोध कृति, बाल साहित्य की छह पुस्तकें तथा पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से वार्त्ताओं का प्रसारण। पत्रकारिता एवं जन संपर्क संबंधी सेमिनारों और संगोष्ठियों में सहभागिता एवं पत्र वाचन।
संप्रति : सेवानिवृत्ति के बाद सर्जनात्मक लेखन में रत। ‘हास्य-व्यंग्य वार्षिकी’ का संपादन।