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छोटी सी पूँजी लेकर बड़े सपने आँखों में सजाकर ‘जी’ नेटवर्क का साम्राज्य बनानेवाले सुभाष चंद्रा आज ‘मीडिया मुगल’ के नाम से जाने जाते हैं। टेलीविजन इंडस्ट्री में आने से पहले वे चावल निर्यात करने का काम करते थे। उन्होंने भारत के पहले निजी टेलीविजन चैनल ‘जी’ टेलीविजन की शुरुआत की।
उनकी जीवन-गाथा परी कथाओं सी मनोहारी नहीं, वरन् अनथक मेहनत की स्याही से जीवन के कठोर धरातल पर लिखी गई, झंझावातों से ओतप्रोत एक ऐसी गाथा है, जो रोचक है और प्रेरक भी। प्रस्तुत पुस्तक सुभाष चंद्रा के आदर्शों और दूरदृष्टि की परिचायक है, जो निश्चय ही अनुसरण करने योग्य है।
कुशल प्रबंधन, सटीक विश्लेषण, लक्ष्य-निर्धारण, योजना बनाना, सटीक निर्णय लेना, वित्त-व्यवस्थापन, विपणन व्यवस्था, अनुशासनप्रियता, जोखिम उठाना, नवप्रवर्तन, कल्पनाशीलता आदि ऐसे गुण हैं, जिन्होंने सुभाष चंद्रा को शून्य से शिखर पर पहुँचा दिया। ऐसे प्रेरक व्यक्तित्व की जीवनगाथा, जो पाठक को सफलता के द्वार खोलने के लिए कठिन परिश्रम करने और उद्यमशीलता के लिए प्रेरित करेगी।
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अनुक्रम
अपनी बात — Pgs. ५
१. बड़े सपने — Pgs. ११
२. जहाँ चाह वहाँ राह — Pgs. १६
३. अवसर से लाभ — Pgs. २१
४. कामयाबी का स्वाद — Pgs. २८
५. एस्सेल वर्ल्ड — Pgs. ३६
६. उपग्रह टेलीविजन चैनल — Pgs. ४१
७. मेहनत रंग लाई — Pgs. ५१
८. सपना साकार — Pgs. ५८
९. ऊँची उड़ान — Pgs. ६८
१०. वर्चस्व की लड़ाई — Pgs. ७५
११. शह-मात का खेल — Pgs. ८४
१२. टूटता तिलिस्म — Pgs. ९३
१३. क्रिकेट का खुमार — Pgs. १०१
१४. मीडिया सेल्फ रेगुलेट हो — Pgs. ११९
१५. प्रमुख उद्यम — Pgs. १२८
१६. संचालक मंडल — Pgs. १४४
१७. महत्त्वपूर्ण पड़ाव — Pgs. १४७
१८. जी टी.वी. की यात्रा — Pgs. १५२
साभार — Pgs. १६७
एन. चोक्कन का पूरा नाम नागा सुब्रमण्यन चोक्कनाथन है। वे तमिल भाषा के जानेमाने फ्रीलांस लेखक हैं। तमिल में इनकी तीस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। विज्ञान, जीवनी एवं बाल साहित्य इनके प्रिय विषय हैं। इसके अलावा उनकी अनेक पुस्तकों का अंग्रेजी, मलयाळम, गुजराती में भाषांतर हो चुका है।तमिल की पत्र-पत्रिकाओं में इनके लेख-आलेख निरंतर प्रकाशित होते रहते हैं।संप्रति बंगलौर की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में निदेशक के पद पर कार्यरत हैं।