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सन् 1986 में भारत में जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ने पहली मेडिक्लेम पॉलिसी जारी की। बाद में भारतीय जीवन बीमा निगम ने आशादीप, जीवन आशा, नवप्रभात नामक सीमित लाभ देनेवाली हैल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों की योजना शुरू की।
इनसे लोगों में अपने जीवन का बीमा करवाने की प्रवृत्ति शुरू हुई, साथ ही लोगों में स्वास्थ्य बीमा करने का भी चलन शुरू हुआ; और धीरे-धीरे ये सब खूब लोकप्रिय हो गए। इनसे जीते-जी स्वास्थ्य संबंधी चिकित्सकीय व्यय से राहत मिलने लगी और मृत्योपरांत परिजनों को एक राशि, ताकि चले गए प्रियजन के बाद भी परिवार आसानी से चल सके।
इस पुस्तक के विद्वान् लेखक का स्पष्ट विचार है कि स्वास्थ्य बीमा सिर्फ करों में छूट पाने के लिए न लें, वरन् उसे अपने जीवन की एक अनिवार्य सुविधा समझकर स्वीकारें। अपनी उम्र के अनुसार हैल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की प्लानिंग कैसे की जा सकती है, इसके बारे में विस्तृत जानकारी पुस्तक में है। साथ ही यह मेडिक्लेम का क्लेम प्रोसेसिंग, कैशलेस हॉस्पिटलाइजेशन, टी.पी.ए., अंडरराइटिंग आदि का मार्गदर्शन भी करती है।
मेडिक्लेम तथा हैल्थ इंश्योरेंस की बारीकियाँ बताकर उपभोक्ता का अधिकाधिक हितसाधन करनेवाली लोकप्रिय पुस्तक।
शिक्षा : पी-एच.डी. स्कॉलर (इंश्योरेंस), प्रोग्राम इन यौगिक स्ट्रेस मैनेजमेंट, एम.एम.एस. (मार्केटिंग): एल-एल.बी. (स्पेशल), एम.ए. (अर्थशास्त्र), एम.ए. (इंडोलॉजी), फेलो इंश्योरेंस इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, सर्टिफिकेट कोर्स इन हैल्थ इंश्योरेंस, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन बिजनेस मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग डिप्लोमा, एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स टेस्ट क्वालीफाइड, गवर्नमेंट डिप्लोमा इन को-ऑपरेशन ऐंड एकाउंटेंसी, उद्यमशीलता विकास में डिप्लोमा, डिप्लोमा इन लेबर लॉज, राष्ट्रभाषा हिंदी पंडित, डिप्लोमा इन आई.टी. एप्लीकेशंस, सर्टिफिकेट कोर्स इन एक्सपोर्ट ऐंड इंपोर्ट, डिप्लोमा इन फ्रूट प्रोसेसिंग, योगा थेरैपी इंस्ट्रक्टर, निसर्गोपचार व आयुर्वेद पदविका।
प्रकाशन : ‘बीमा सभी के लिए’, ‘मेडिक्लेम और हैल्थ इंश्योरेंस’, ‘युवावस्था में ही रिटायरमेंट प्लानिंग।
इंश्योरेंस अकादमी पुणे तथा लोकमान्य मेडिकल फाउंडेशन के निदेशक, स्कूल ऑफ इंडिक स्टडीज के प्रवर्तक तथा फाइनेंस इंश्योरेंस बैंकिंग लिटरेसी इनिशिएटिव के संयोजक। अनेक प्रतिष्ठित व्यापारिक, सांस्कृतिक तथा सामाजिक संगठनों से विशेष संबद्धता।