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निःसंदेह मीडिया की समकालीन दुनिया अनेक विद्रूपताओं से भरी पड़ी है। अखबारों से जुड़े कुछ चेहरे बेशक नायक जैसे नजर आते हैं, मगर उनके पीछे एक खलनायक छिपा रहता है। गिरीश पंकज ने मीडिया जगत् की कुछ दुष्प्रवृत्तियों को बेनकाब करने की सार्थक कोशिश की।
गिरीश पिछले तीस सालों से मीडिया से जुड़े हुए हैं। इसके पहले भी वे अखबारी दुनिया पर केंद्रित उपन्यास ‘मिठलबरा की आत्मकथा’ लिख चुके हैं, जिसका तेलुगु एवं ओडिया भाषा में अनुवाद हुआ है। इस व्यंग्य उपन्यास की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह कहने पर का व्यंग्य उपन्यास नहीं है। इसमें शुरू से अंत तक व्यंग्य-तत्त्व का निरंतर निर्वाह हुआ है। यह बेहद उल्लेखनीय पक्ष है।
इस उपन्यास की भाषा रंजक है, व्यंग्य-स्नात है, बेबाक है, और पाठकों को बाँधकर रखनेवाली है। भाषा कहीं-कहीं कुछ खुली-खुली सी भी है, मगर पूर्णतः मर्यादित। व्यंग्य उपन्यास के रूप में प्रचारित कृतियों में कई बार व्यंग्य खोजना पड़ता है, मगर ‘मीडियाय नमः’ में व्यंग्य कदम-कदम पर पसरा पड़ा है। पूर्ण विश्वास है कि गिरीश का यह नया व्यंग्य उपन्यास बाजारवाद से ग्रस्त समझौतापरस्त मीडिया के स्याह चेहरे को समझने में मददगार साबित होगा।
जन्म : 1 जनवरी, 1957, वाराणसी।
शिक्षा : एम. ए. (हिंदी), बी.जे. (हिंदी), बी.जे. (प्रावीण्य सूची में प्रथम), लोककला-संगीत में पत्रोपाधि।
कृतियाँ : ‘ट्यूशन शरणं गच्छामि’, ‘भ्रष्टाचार विकास प्राधिकरण’, ‘मंत्री को जुकाम’, ‘ईमानदारों की तलाश’, ‘हिट होने के फॉर्मूले’, ‘नेताजी बाथरूम में’, ‘मूर्ति की एडवांस बुकिंग’, ‘मेरी इक्यावन व्यंग्य रचनाएँ’, ‘सम्मान फिक्सिंग’ एवं ‘निलंबित की आत्मकथा’, ‘माफिया’, ‘पॉलीवुड की अप्सरा’ एवं ‘एक गाय की आत्मकथा’ (उपन्यास); पंद्रह पुस्तकें नवसाक्षरों के लिए, बच्चों के लिए चार पुस्तकें, दो गजल संग्रह, एक हास्य चालीसा।
सम्मान-पुरस्कार : हिंदी सेवाश्री सम्मान, त्रिनिडाड, रमणिका फाउंडेशन सम्मान, आर्यस्मृति साहित्य सम्मान, अट्टहास सम्मान, लीलारानी स्मृति सम्मान, रामेश्वर गुरु पत्रकारिता सम्मान, करवट सम्मान, सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर सम्मान, श्रीलाल शुक्ल व्यंग्य सम्मान इत्यादि।
अन्य : कन्नड़, तेलुगु, तमिल, मलयाली, भोजपुरी, ओडिया, उर्दू, सिंधी, पंजाबी, मराठी, छत्तीसगढ़ी आदि में रचनाएँ अनूदित। दस देशों की यात्राएँ। ‘गिरीश पंकज के कृतित्व-व्यक्तित्व’ पर कर्नाटक, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश में पी-एच.डी. उपाधि के लिए शोधकार्य।
संप्रति : संपादक-प्रकाशक, ‘सद्भावना दर्पण’, सदस्य-साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली, सदस्य-छत्तीसगढ़ ग्रंथ अकादमी, अध्यक्ष—छत्तीसगढ़ राष्ट्रभाषा प्रचार समिति।