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‘मेह की सौंध’ उन कहानियों का संकलन है, जो कथाकार स्वेता परमार ‘निक्की’ द्वारा वर्षों से लिखी गई कहानियों के संग्रह से चुनी गई हैं। इन कहानियों को पाठकवृंद अपनी जिंदगी से भी जोड़कर देख सकते हैं, क्योंकि लेखिका ने इन्हें अपने संपूर्ण दिल की भावनाओं से ओतप्रोत हो, आत्मा से शब्दों में बाँधा है।
लेखिका का मानना है कि हमें हमेशा एक बात पर यकीन रखना चाहिए कि जिंदगी में वक्त कब, कहाँ, कैसे, कौन सी करवट ले, यह कोई नहीं जानता; पर कभी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना चाहिए, साथ नहीं छोड़ना चाहिए। तभी हमारे सपने एवं सोच साकार होते नजर आएँगे। बस जरूरत है एक साथ की, चाहे वह हमारी अपनी परछाई ही क्यों न हो!
लघुकथाओं का संग्रह ‘मेह की सौंध’ अपनी अलग-अलग कथावस्तु के चलते पाठकों को नई ताजगी का एहसास कराएगा, पाठकों के हृदय में स्थान बनाएगा, ऐसा हमारा विश्वास है।
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अनुक्रम
मेरी बात — 7
आभार — 9
1. मेह की सौंध — 13
2. शांतिदूत — 27
3. खुशी — 37
4. फैसला — 42
5. उम्मीद — 50
6. मुश्किल — 56
7. मंजिल — 67
8. मोड़ — 73
9. एहसास एक अनुभूति — 81
10. काश — 87
11. करवट — 102
12. मैला मन — 110
13. श्वेतांबरा — 114
14. परिवार — 123
15. वत — 130
16. ढोंग — 134
17. कौन? — 142
18. अल्पविराम — 150
स्वेता परमार ‘निक्की’ का जन्म अप्रैल 1976 में राजस्थान के ‘गुलाबी शहर’ जयपुर में हुआ। स्कूली शिक्षा यहीं से हुई। राजस्थान विश्वविद्यालय से इंग्लिश ऑनर्स किया, तदुपरांत हरियाणा के रोहतक स्थित महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से बी.एड. पूरी की। विवाह के बाद पहले दिल्ली में और अब उत्तर प्रदेश में अपने परिवार के साथ रहती हैं।
पेशे से बिजनेस वुमेन होने के बावजूद मन लेखनी में रमा रहा। अपनी पहली ही किताब ‘द जेस्टफुल हाइव’ (अंग्रेजी) में जिंदगी के तमाम एहसासों-भावनाओं को बड़ी सहजता से पेश करके चर्चा में आईं और उसे पाठकों ने खूब पसंद किया। मन से निकले विचारों को सहज रूप से कागज पर उकेरने की उनकी खूबी पाठकों को अपनी ओर खींचती है।