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मिलिए सायना नेहवाल से—स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी, वर्ल्ड नंबर 4, पद्मश्री और राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित। महज बाईस साल की उम्र में ओलंपिक मेडल जीतकर उन्होंने भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाई। अपने संस्मरणों की इस दिलचस्प पुस्तक में वे अपने बचपन और बड़े होने के दिनों को याद करती हैं। इसमें वे अपनी जिंदगी के सबसे अहम रिश्तों को याद कर रही हैं, जिला स्तर की जीत से लेकर 2012 ओलंपिक की अपनी जीत को, प्रसिद्धि से भरे अपने कॉरियर के उतार-चढ़ावों को याद कर रही हैं। वे अपनी जिंदगी के अब तक अनजान रहे तथ्यों के बारे में आपसे बातें कर रही हैं और अपने अनेक अवतारों की एक झलक देखने का मौका दे रही हैं कि कैसे एक विलक्षण बैडमिंटन खिलाड़ी के पीछे एक बेटी, बहन, छात्र और एक सामान्य लड़की छिपी हुई है। जानिए कि सायना का एक सामान्य दिन कैसे गुजरता है—कड़ी ट्रेनिंग, सख्त डाइट तथा पार्टियों व ज्यादा सोने से परहेज। लेकिन ऐसा नहीं है कि बस काम-ही-काम होता है, जीवन के मजे नहीं होते। सायना को खरीदारी करना, आइसक्रीम खाना और अपने आई-पैड पर गेम खेलना पसंद है।
इस शानदार खिलाड़ी की बेबाक तसवीरों और बैडमिंटन टिप्स के साथ सजी यह पुस्तक बताती है कि एक चैंपियन कैसे बनता है—और सबसे अहम बात है कि यह पुस्तक खुद सायना के अपने शब्दें में है।
जन्म : 17 मार्च, 1990, हैदराबाद, आंध्र प्रदेश।
बैडमिंटन (एकल) की विश्वस्तरीय खिलाड़ी। विश्व वरीयता सूची में चौथा स्थान (2012)। खेले गए मैचों की संख्या 278; जीते गए मैचों की संख्या 193।
केरल क्लब कालीकट; असम क्लब गुवाहाटी; मुंबई क्रिकेट क्लब; बंबई जिमखाना आदि की सदस्य।
पुरस्कार-सम्मान : वर्ष 2007 में ‘विश्व में सबसे युवा खिलाड़ी’ का सम्मान, 2008 में विश्व बैडमिंटन संघ द्वारा ईड्डी चूंग मोस्ट प्रोमिसिंग प्लेयर पुरस्कार, 2009 में स्पोर्ट्स इलस्टे्रटेड इंडिया द्वारा स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ दि ईयर के पुरस्कार, सहारा इंडिया परिवार का यंगेस्ट एचीवर इन स्पोर्ट्स पुरस्कार, ‘अर्जुन पुरस्कार’, लक्ष्य भारती फाउंडेशन पुरस्कार, इंडिया ग्लोरी पुरस्कार, पेट्रोलियम स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड पुरस्कार, टीचर्स एचीवमेंट पुरस्कार, 2010 में आंध्र गौरव पुरस्कार, ‘पद्मश्री’ एवं राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित।
भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड में सहायक प्रबंधक के रूप में कार्यरत।