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Meri Sansadiya Yatra -IV   

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Author Atal Bihari Vajpayee
Features
  • ISBN : 8173152802
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Atal Bihari Vajpayee
  • 8173152802
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2016
  • 502
  • Hard Cover

Description

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 15 अगस्त, 1998 को ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्‍ट्र को संबोधित करते हुए कहा था- ' एक गरीब स्कूल मास्टर के बेटे का भारत के प्रधानमंत्री के पद तक पहुँचना भारतीय लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक है ।'  पिछली अर्द्धसदी से भी अधिक समय से स्वयं श्री वाजपेयी भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने में अपना रचनात्मक योगदान देते रहे हैं ।
श्री वाजपेयी संसद में रहे हों या संसद के बाहर, भारतीय राजनीति को प्रभावित करते रहे हैं । श्री वाजपेयी का बोला हुआ हर शब्द खबर माना जाता रहा है । उनके भाषण मित्रों द्वारा ही नहीं, राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा भी गंभीरता से सुने जाते हैं । भारतीय जीवन से जुड़े प्रत्येक पहलू पर पूरे अधिकार के साथ बोलना वाजपेयीजी के लिए सहज-संभव-साध्य रहा है । उनकी उदार दृष्‍ट‌ि और तथ्यपरक आँकड़े लोगों को मानसिक स्तर पर संतुष्टि देते रहे हैं । उनकी सोच हरदम रचनात्मक और देश-हित में सबसे बेहतर विकल्प तलाशने व उद्घाटित करनेवाली रही है । उनका सबसे बड़ा योगदान ' संसद में संवाद ' की स्थिति बनाए रखना, उसके स्तर को ऊँचा उठाना माना जाता है ।
श्री वाजपेयी का चिंतन दूरगामी है । देश-हित उनके लिए सर्वोपरि है । यह तथ्य इन भाषणों को पढ़कर पाठकों के सामने बार-बार उजागर हो आता है । अगर उनके समसामयिक प्रस्ताव, योजनाएँ आशंकाएँ पूरी गंभीरता से स्वीकारी जातीं, उन्हें अमल में लाया जाता, तो देश की दशा इस तरह चिंता का विषय न बनी होती; इसका भी अनंत बार आभास इन भाषणों को पढ़कर होता है ।
अपने प्रधानमंत्रित्व काल में श्री वाजपेयी की राष्‍ट्रीय प्राथमिकताएँ क्या हैं और उनको पूरा करने की योजनाएँ क्या हैं, यह भी प्रधानमंत्री के रूप में अब तक संसद में दिए गए उनके कुछ थोड़े से भाषणों से स्पष्‍ट हो जाता है ।
' मेरी संसदीय यात्रा ' के इन चार खंडों में चालीस से भी अधिक वर्षों में श्री वाजपेयी द्वारा संसद में दिए गए भाषण कालक्रम और विषयवार संकलित हैं ।
इन संकलनों में लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के रूप में किया गया राष्‍ट्रीय उद्बोधन, संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ महासभा में दिए गए महत्त्वपूर्ण भाषण, अंतरराष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग के न्यूयॉर्क सम्मेलन में दिया गया भाषण, श्री वाजपेयी को ' सर्वश्रेष्‍ठ सांसद सम्मान ' समर्पण समारोह अवसर के सभी भाषण और श्री वाजपेयी का आधार भाषण भी संकलित हैं ।

The Author

Atal Bihari Vajpayee

भारतीय राजनीति के खिर पुरुष और पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ओजस्वी कवि और प्रखर वक्‍ता हैं। उनका जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर, म.प्र. में हुआ। उन्होंने राजनीति-शास्‍त्र से एम.ए. तक की शिक्षा प्राप्‍त की तथा एक पत्रकारर के रूप में अपना जीवन शुरू किया। पिछले 55 वर्षों के लंबे कालखंड में उन्होंने भारतीय राजनीति में जो गरिमापूर्ण योगदान दिया वह एक आदर्श रहा है। राष्‍ट्र के प्रति उनकी समर्पित सेवाओं के लिए सन‍् 1992 में राष्‍ट्रपति ने उन्हें ‘पद‍्म विभूषण’ से विभू‌‌ष‌ित किया। 1993 में कानपुर विश्‍वविद्यालय ने उन्हें फिलॉसफी में डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की। 1994 में ‘लोकमान्य तिलक पुरस्कार’ दिया गया। 1994 में ‘लोकमान्य तिलक पुरस्कार’ दिया गया। 1994 में में ‘सर्वश्रेष्‍ठ सांसद’ चुना गया और ‘गोविंद बल्लभ पंत पुरस्कार’ से पुरस्कृत किया गया।
भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष और पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ओजस्वी कवि और प्रखर वक्‍‍ता हैं। उनका जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर, म.प्र. में हुआ। उन्होंने राजनीति-शास्‍त्र से एम.ए. तक की शिक्षा प्राप्‍त की तथा एक पत्रकार के रपू में अपना जीवन शुरू किया। पिछले 55 वपर्षों के लंबे कालखंड में उन्‍होंने भारतीय राजनीति में जो गरिमापूर्ण योगदान दिया वह एक आदर्श रहा है। राष्‍ट्र के प्रति उनकी समर्पित सेवाओं के लिए सन‍् 1992 में राष्‍ट्रप‌ित ने उन्हें ‘पद‍्म विभूषण’ से विभूषित किया। 1993 में कानपुर विश्‍वविद्यालय ने उन्हें फिलॉसफी में डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की। 1994 में ‘लोकमान्य ‌तिलक पुरस्कार’ दिया गया। 1994 में ‘सर्वश्रेष्‍ठ सांसद’ चुना गया और ‘गो‌व‌िंद बल्लभ पंत पुरस्कार’ से पुरस्कृत किया गया।
अटलजी को ‘कैदी कविराय की कुंडलियाँ’, ‘न्यू डाइमेंशंस ऑफ एशियन फॉरेन पॉलिसी’, ‘मृत्यु या ’हत्या‘, ‘जनसंघ और मुसलमान’, ‘मेरी इक्‍यावन कविताएँ’, ‘मेरी संसदीय यात्रा’ (चार खंड), ‘संकल्प-काल’ एवं ‘गठबंधन की राजनीति’ जैसी पुस्तकें ‌ल‌िखने का श्रेय प्राप्‍त है।

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