₹400
‘मेट्रोमैन’ के नाम से विख्यात ई. श्रीधरन असंभव को संभव बना देनेवाले मानवीय प्रयासों के शानदार पर्याय बन चुके हैं। पिछले छह दशकों में देश की यातायात प्रणाली का आधुनिकीकरण और विस्तार कर उसे वैश्विक मानदंडों के अनुरूप बनानेवाले प्रौद्योगिकीविद् के रूप में उनका कोई सानी नहीं है। केरल के पलक्कड़ जिले के एक सुदूर गाँव करुकपुथुर में जन्मे प्रतिभासंपन्न श्रीधरन की खासियत उनके द्वारा पूरी की गई विकास परियोजनाओं की संख्या और उनकी पहुँच ही नहीं रही है, बल्कि यह भी उनकी विशेषता रही है कि कैसे उन्होंने एक के बाद एक, हर अभियान में समय की कसौटी पर परखे और हमेशा से सँजोकर रखे गए शाश्वत मूल्यों की पुनः-पुनः पुष्टि की और खुद को भ्रष्टाचार से अछूता रखते हुए लोककल्याण के लक्ष्य के साथ पूरी पारदर्शिता से कार्य किया।
देश में सबसे ज्यादा प्रतिभाशाली समझे जानेवाले आई.आई.टी. स्नातक या प्रशासनिक सेवकों वाला प्रभामंडल श्रीधरन के पास नहीं है। महज सिविल इंजीनियरिंग में एक आम डिग्रीवाले श्रीधरन की सफलता का राज अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में नैतिक मूल्यों को लेकर दृढ प्रतिबद्धता है। इसी
ने उन्हें अपने कार्यक्षेत्र में उच्चतम उपलब्धियों तक पहुँचाया।
अथक परिश्रम, लगन, कार्यनिष्ठा, यानी सभी प्रकार के प्रबंधन गुणों का पर्याय हैं ई. श्रीधरन। इनसे प्रेरणा लेकर आज के युवा भी कर्तव्य-पथ पर अग्रसर हो
सकें, इसी में इस पुस्तक के प्रकाशन की सफलता है।
______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________
अनुक्रम
लेखकीय — 5
1. श्रीधरन की कहानी — 11
2. बचपन के आकर्षण — 24
3. पहली रेल-यात्रा — 33
4. कॅरियर के शुरुआती वर्ष — 41
5. पंबन पहला हस्ताक्षर — 50
6. मेट्रो अभियान — 58
7. शिपयार्ड के कप्तान — 65
8. फौलादी इरादे — 73
9. रेलवे विभाग से सेवानिवृत्ति — 83
10. कोंकण : एक महाकाव्य — 92
11. दुर्गम इलाकों के पार — 101
12. दस सिद्धांत — 110
13. नए ट्रैक, नई लाइन — 120
14. गोवा में अवरोधकों को पार करना — 129
15. मेट्रो मैन — 137
16. लंबी छलाँग — 146
17. पी.पी.पी. और कुछ झगड़े — 156
18. सपने की सुपुर्दगी — 167
19. पुरस्कार और सम्मान — 176
20. गरिमामय जीवन — 183
एम.एस. अशोकन लेखक और वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्हें पत्रकारिता में बीस वर्ष से भी अधिक का अनुभव है। संप्रति वे ‘देशाभिमानी’ नामक दैनिक-पत्र के साथ कार्य कर रहे हैं। उनकी चित्रकारी (ऑयल और वॉटर कलर्स से) में अत्यंत दिलचस्पी है और वे अपने इस शौक को पूरी गंभीरता के साथ निभा रहे हैं। वे अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ कोच्चि में रहते हैं।