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छह साल की उम्र में जब विश्वनाथन आनंद ‘विशी’ ने चेसबोर्ड पर मोहरों को चलाना सीखा, तब से लेकर अब तक अनगिनत पुरस्कार जीते हैं। एशिया के पहले वर्ल्ड शतरंज चैंपियन बनने के बाद दुनिया के मंच पर वे उस समय आए, जब शतरंज पर काफी हद तक सोवियतों का एकाधिकार था, वे वर्ल्ड नंबर 1 बने, विश्व चैंपियन के पाँच खिताब अपने नाम किए और इस खेल के सभी प्रारूपों की प्रतियोगिताओं को जीता।
‘माइंड मास्टर’ में विशी अब तक खेले गए मुकाबलों, विरोधियों से निपटने और परिस्थितियों पर काबू पाने के दिनों को याद कर रहे हैं, और ऐसी महत्त्वपूर्ण बातें सामने रखते हैं, जिनसे हर पाठक को जीवन की चुनौतियों को पार करने में मदद मिलेगी—
• किसी लक्ष्य को प्राप्त करने में तरकीबों और रणनीतियों की क्या भूमिका होती है?
• मुश्किल परिस्थितियों में भावनाओं को आप अपने पक्ष में कैसे कर सकते हैं?
• अपनी सुखद स्थिति को छोड़ आप जब जोखिम उठाने निकलते हैं, तब आपको कैसी सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
• तेजी से बदलती वास्तविकताओं के बीच प्रासंगिक बने रहने के लिए आपको क्या करना चाहिए?
• क्या भूलना सच में सीखने का एकमात्र तरीका है?
शतरंज के बेताज बादशाह विश्वनाथन आनंद की सूझबूझ, अप्रतिम मेधा और ज्ञान से भरपूर यह पुस्तक पाठकों में रोमांच, प्रेरणा और ललक पैदा करेगी, यह सुनिश्चित है
विश्वनाथन आनंद आज शतरंज की दुनिया की सबसे मशहूर हस्तियों में से एक हैं। ग्रैंडमास्टर बनने के बाद के तीन दशकों में उन्होंने अनेक प्रतियोगिताओं के साथ पाँच विश्व चैंपियनशिप के खिताब जीते है और दुनिया के शीर्ष शतरंज खिलाडि़यों के बीच बने रहने के लिए लगातार नई-नई चुनौतियों को पार किया है। उनकी उपलब्धियों से भारत में शतरंज खिलाडि़यों की एक ऌपूरी पीढ़ी को प्रेरणा मिली। आनंद को खगोल-विज्ञान में रुचि है तथा गणित, अर्थशास्त्र और समसामयिक विषयों को पढ़ने में दिलचस्पी है। उन्हें यात्रा करना पसंद है और वह वन्यजीव सफारी का विशेष आनंद लेते हैं। वह परोपकार के अनेक कार्यों में सहयोग करते हैं, मुख्य रूप से मस्तिष्क पक्षाघात तथा स्नायु संबंधी बीमारियों से ग्रस्त बच्चों की मदद। विश्वनाथन आनंद के मुकाबले कुछ ही लोग बिजली की रफ्तार से मात देनेवाली चाल चलना सोच सकते हैं और सबसे कठिन चुनौतियों को पार करने के बेहिसाब दबाव के साथ काम कर सकते हैं।
सूज़न नैनन ईएसपीएन की खेल पत्रकार हैं और बेंगलुरु में रहती हैं। इससे पहले वह ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ के लिए काम कर चुकी हैं और ‘कॉमनवेल्थ गेम्स’ तथा ‘वर्ल्ड शतरंज चैंपियनशिप’ जैसे बड़े आयोजनों पर खबरें लिखी हैं। वह जब खेलों की खबर नहीं दे रही होती हैं, तब किताबों की दुकानों के चक्कर लगाती हैं।