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देश में करीब 50 लाख से ज्यादा लोग विभिन्न प्रकार की मिरगी से ग्रस्त हैं। यह रोग विश्व भर में फैला हुआ है तथा अनेक अंधविश्वास एवं मिथ्या धारणाओं से जकड़ा हुआ है। वास्तव में यह मनोरोग नहीं, बल्कि मस्तिष्क का रोग है। करीब 90 प्रतिशत रोगी उपचार द्वारा रोग-मुक्त हो सकते हैं, या रोग पर प्रभावी नियंत्रण हो सकता है।
प्रस्तुत पुस्तक में मिरगी रोग के इतिहास से लेकर इसके होने के कारणों, लक्षणों, मिरगी के विभिन्न स्वरूपों आदि का गहन विवेचन किया गया है। साथ ही इसमें बरती जानेवाली सावधानियाँ, रोगी की जाँच कैसे करें, मिरगी के दौरे के समय क्या उपाय करें तथा इसके क्या-क्या बचाव हैं, इस पर पर्याप्त प्रकाश डाला गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि रोग के संबंध में जागरूकता उत्पन्न करना, अंधविश्वासों, गलतफहमियों को दूर करना अति आवश्यक है।
मिरगी रोग के संबंध में भ्रांत धारणाओं को मिटाकर व्यावहारिक उपाय और समाधान बतानेवाली एक उत्तम मार्गदर्शिका।
शिक्षा : एम.बी.बी.एस., जी.एस.वी.एम., एम.डी. (शरीर क्रिया विज्ञान), के.जी.एम.सी. लखनऊ, लखनऊ विश्वविद्यालय।लगभग 36 वर्षों का शोध अनुभव, विशेष रूप से हृदय क्रिया विज्ञान, पोषक शास्त्र, आई.डी.डी.; 6 एम.डी. और एक पी-एच.डी. छात्रों के शोध ग्रंथ का निर्देशन; लगभग 100 शोधपत्रों का प्रकाशन।
कृतित्व : ‘कैंसर : कारण व बचाव’, ‘विज्ञान मधुमेह बचाव’ तथा कई पुस्तकें प्रकाशनाधीन। लगभग 2800 स्वास्थ्य लेख हिंदी और अंग्रेजी की विभिन्न राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित। विज्ञान गोष्ठियों व कार्यशालाओं में भागीदारी।
सम्मान-पुरस्कार : विज्ञान परिषद् द्वारा ‘डॉ. गोरखनाथ पुरस्कार’, आयुष्मान भोपाल द्वारा सम्मानित एवं सर्वोत्तम शिक्षक फिजियोलॉजी का सम्मान।
संप्रति : आचार्य एवं विभागाध्यक्ष, शरीर क्रिया विज्ञान विभाग, सरस्वती इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, हापुड़ (उ.प्र.)।