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‘मिश्री’ के किरदार उसी प्राचीन धार्मिक नगरी वृंदावन की रज ( मिट्टी) में खेल-कूदकर बडे़ हुए हैं, जहाँ की असंख्य लीलाएँ और कहानियाँ दुनिया भर में सुनी-सुनाई जाती हैं। सँकरी गलियों से निकली कहानी के पात्र खुद को सात समंदर पार भी ले जाते हैं। कहानी में वृंदावन के सभी चटख रंग भी दिखेंगे और परंपरा, आस्था के अनोखे ढंग भी। यही कारण हैं ‘मिश्री’ के किरदार करीब से देखने में अपने और जाने-पहचाने से लगेंगे।
ऐतिहासिक कहानियाँ जो हमारे चिंतन में या चेतन में कहीं दबी होती हैं, अकसर नए किरदारों, बदलते परिवेश में नए रूप में सामने आती हैं। किसी कहानी में सभी किरदारों का अपना महत्त्व है, लेकिन ‘मिश्री’ में एक आधुनिक नारी का एकतरफा समर्पण दिखेगा। उसने एक पात्र के तौर पर दमदार पहचान बनाई, लेकिन खुद के लिए तो बिलकुल नहीं। एक अदृश्य प्रेम जिसका मकसद कुछ पाना नहीं बल्कि खो देना है। कहानी के अंत में ‘मिश्री’ सभी पात्रों और लेखक को भी यह अहसास कराने में सफल है कि इस कहानी की पहचान तो उसके नाम से ही है
अनूप वाजपेयी
जन्म : अयोध्या (उ.प्र.)
शिक्षा : एम.ए. (राजनीति शास्त्र), पत्रकारिता में परास्नातक डिप्लोमा। 25 वर्षों से अधिक पत्रकारिता का अनुभव।
बचपन से कविता, गीत-संगीत, नाटक कहानियों में विशेष रुचि। पिता श्री प्रकाश वाजपेयी के रंगकर्म, आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं फिल्मों में अभिनय से प्रेरित होकर अभिनय शैली तथा लेखन विधा की ओर आकर्षित हुए एवं प्रोत्साहन मिला।
अनेक काव्यमंचों से कविताएँ पढ़ने का भी अवसर मिला। लोकप्रिय कार्यक्रम ‘वाह, वाह, क्या बात है!’ में कविता पाठ करके कवि शैलेश लोढ़ाजी के द्वारा सम्मानित। म्यूजिक कंपनी टी सीरीज ने वर्ष 2012 में इनके लिखे भजनों का एलबम ‘शिरडी के फकीर’ जारी किया। शीघ्र ही ओटीटी प्लेटफॉर्म पर एक वेबसीरीज में स्क्रीनप्ले और डायलॉग राइटर की भूमिका का निर्वहन।
आवास : सी-303 ए, सेक्टर-19, नोएडा, गौतमबुद्ध नगर-201301 (उ.प्र.)
संप्रति : अमर उजाला दिल्ली में, राजनीतिक ब्यूरो में विशेष संवाददाता।
Email. anoopwriter05@gmail.com