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थाईलैंड की जूनियर फुटबॉल टीम में शामिल कई बच्चे आर्थिक रूप से विपन्न घरों के थे। इस दुर्घटना ने जो कि आज एक ऐतिहासिक घटना बनकर इतिहास के पन्नों पर दर्ज हो चुकी है, हर बच्चे को विश्व के घर-घर में पहुँचा दिया। अब इन बच्चों को अपने जीने के लिए खुला आकाश मिलेगा, स्वप्नों को पूरा करने के लिए पंख मिलेंगे। इन बच्चों की एकाग्रता, आध्यात्मिकता, प्रेम, लगन जैसे भाव इन्हें हर स्थिति में सफल होने की गारंटी देते हैं। जो व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी जीवन के प्रति आश्वस्त रहता है, निरंतर चलता रहता है, संघर्ष करता रहता है, उसे दुनिया की कोई ताकत नहीं हरा सकती।
फुटबॉल टीम एवं कोच ने अपने प्रयासों और बुलंद हौसलों से एक दुखद दुर्घटना को सुखद अंत में परिवर्तित करके यह साबित कर दिया कि शक्तिशाली लोग अपने जीवन में मुसीबत को भी महान् अवसर में बदलकर इतिहास बदल सकते हैं।
थाम लुआंग नैंग नॉन गुफा में घटित यह घटना एक बहुत बड़ा सबक देती है कि यदि सभी लोग एकजुट हो जाएँ तो वे समस्याओं को अवसरों में परिवर्तित करके अपना जीवन बदल सकते हैं। सदियाँ बीत जाएँगी, लेकिन थाईलैंड की फटबॉल टीम की ऐतिहासिक जीत हर उस व्यक्ति को संबल देती रहेगी, जो जीवन से हार मान लेते हैं, निराश हो जाते हैं और तनाव में घातक कदम उठा लेते हैं।
घोर विषमताओं में भी धैर्य रखकर उनसे पार पाने की अद्भुत जिजीविषा का लेखा-जोखा है यह पुस्तक।
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अनुक्रम
आमुख —Pgs. 5
धार्मिकता और प्रकृति का चितेरा : थाईलैंड —Pgs. 11
• थाम लुआंग नेंग नोन गुफा —Pgs. 13
• थाम लुआंग नेंग नोन गुफा के अंदर —Pgs. 15
• गुफा के अंदर प्रवेश —Pgs. 19
• थाम लुआंग गुफा से दूर फुटबॉल टीम के अभिभावक —Pgs. 24
• पीरापत सोमपिआंगजई के घर की स्थिति —Pgs. 25
• पुलिस की खोजबीन —Pgs. 26
• गुफा के अंदर बच्चे एवं कोच की मनोस्थिति —Pgs. 28
• थाई नेवी सील डाइवर्स का इस मामले में शामिल होना —Pgs. 31
• थाई नेवी सील के प्रयास —Pgs. 32
• गुफा के अंदरूनी हिस्से में बच्चों का संघर्ष —Pgs. 33
• थाई नेवी सील डाइवर्स का गुफा के अंदर जाने का प्रयास करना —Pgs. 37
• अभिभावकों के हाव-भाव —Pgs. 39
• गुफा में बच्चों का संघर्ष —Pgs. 41
• ब्रिटिश एवं अमेरिकी सेना का थाईलैंड की सहायता के लिए पहुँचना —Pgs. 44
• गुफा में शिथिल होते बच्चे —Pgs. 46
• ब्रिटिश एवं अमेरिकी सेना का थाईलैंड की सहायता के लिए पहुँचना —Pgs. 47
• थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुथ चान ओचा का गुफा पर पहुँचना —Pgs. 50
• गुफा में सातवाँ दिन —Pgs. 52
• हर ओर प्रार्थना की गूँज —Pgs. 54
• गुफा के बाहर आठवाँ दिन —Pgs. 55
• गुफा के अंदर आठवाँ दिन —Pgs. 57
• नौवाँ दिन—गोताखोरों ने गुफा में ऑपरेटिंग बेस बनाया —Pgs. 60
• नौवाँ दिन—गुफा के अंदर —Pgs. 63
• दसवाँ दिन—गोताखोरों को मिली बड़ी सफलता —Pgs. 67
• दसवाँ दिन—गुफा के अंदर बच्चों की स्थिति —Pgs. 71
• ग्यारहवाँ दिन —Pgs. 76
• बारहवाँ दिन —Pgs. 79
• तेरहवाँ दिन —Pgs. 82
• चौदहवाँ दिन —Pgs. 83
• पंद्रहवाँ दिन —Pgs. 86
• सोलहवाँ दिन—बड़ी सफलता का दिन —Pgs. 89
• सत्रहवाँ दिन—बड़ी सफलता का दिन —Pgs. 95
• अठारहवाँ दिन—सभी लोग सकुशल जीवित निकले —Pgs. 99
उपसंहार —Pgs. 103
रेनू सैनी
जन्म : 1 अप्रैल।
शिक्षा : एम.फिल. (हिंदी)।
प्रकाशन : ‘दिशा देती कथाएँ’, ‘बचपन का सफर’, ‘बचपन मुसकाया जब इन्हें सुनाया’, ‘महात्मा गांधी की प्रेरक गाथाएँ’, ‘कलाम को सलाम’, ‘संत कथाएँ मार्ग दिखाएँ’, ‘सक्सेस गीता : सफल जीवन के 125 मंत्र’, ‘डायमंड लाइफ’, ‘जीवन धारा’, ‘मोदी सक्सेस गाथा’, ‘दीनदयाल उपाध्याय की प्रेरककहानियाँ’, ‘मिशन Impossible’, ‘दिल्ली चलो’, ‘लौहपुरुष सरदार पटेल के प्रेरकप्रसंग’ एवं ‘शास्त्रीजी के प्रेरकप्रसंग ’।
सम्मान : दिल्ली सरकार की हिंदी अकादमी द्वारा चार बार नवोदित लेखन एवं आठ बार आशुलेखन में पुरस्कृत; ‘बचपन का सफर’ पुस्तक को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा बाल साहित्य वर्ग के अंतर्गत ‘भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पाँचवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक ‘वितान’ के अंतर्गत कहानी ‘अद्भुत प्रतिभा’ एवं पाठ्यपुस्तक ‘बातों की फुलवारी’ के अंतर्गत ‘आखरदीप’ कहानी का प्रकाशन। राष्ट्रीय स्तर की अनेक पत्र-पत्रिकाओं एवं आकाशवाणी से रचनाओं का प्रकाशन व प्रसारण। अनेक साहित्यिक कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक संचालन।
संप्रति : सरकारी सेवा में कार्यरत।
संपर्क : saini.renu830@gmail.com