₹400
भारतीय वैज्ञानिकों ने अपने हौसलों से इस स्वप्न को साकार कर एक इतिहास रच दिया। मंगलयान की कामयाबी एक दुश्वार कसौटी थी, जिसने इससे जुड़े प्रत्येक इनसान के आत्मबल, इच्छाशक्ति और संयम को परखते हुए उसे कुंदन की तरह निखारने का कार्य किया। विषम परिस्थितियों में सफल होने के लिए पूरी टीम का एकलक्षित होना इसे अपने आपमें महत्त्वपूर्ण बनाता है।
राहुल ‘अतिशयोक्ति’ द्वारा लिखी यह पुस्तक ‘मंगलयान’ मिशन की परिकल्पना से लेकर उसके निर्माण, लॉञ्चिंग समेत उस यात्रा को विस्तार से बताती है, जो कुछ कर गुजरने की इच्छाशक्ति को दरशाती है। इस पुस्तक में हर पड़ाव को बेहद खूबसूरती से, गहनता से हर स्थिति के सजीव वर्णन के साथ भारतीय वैज्ञानिकों के आत्मबल, इच्छाशक्ति और चुनौतियों को पार कर लक्ष्य को पाने की जुझारू प्रवृत्ति से रूबरू कराती है, साथ ही मंगलयान की संपूर्ण सफलताओं के यशोगान को चिरस्थायी बनाने का महती काम करेगी। ‘6 माह की अवधि के लिए भेजे गए मिशन मंगलयान का 6 वर्ष बाद भी’ अनवरत कार्य करना और अब भी अपनी यात्रा पर निरंतर गतिमान रहने की कहानी हर भारतीय को गर्व की अनुभूति कराती है।
कई पुरस्कारों से सम्मानित युवा लेखक राहुल झारिया विगत 8 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। नए युग की आवश्यकताओं के मुताबिक परंपरागत पत्रकारिता में आए बदलावों को समझकर समसामयिक विषयों पर मजबूत पकड़ रखनेवाले राहुल कई महत्त्वपूर्ण पत्रपत्रिकाओं के लिए लेख, वृत्तांत, कविताएँ, कहानियाँ और नाटक लिखते रहे हैं। ‘दैनिक भास्कर’, ‘नई दुनिया’ समेत कई नामी पब्लिकेशन हाउस से संबद्ध रहे राहुल झारिया वर्तमान में इंडिया टुडे ग्रुप, दिल्ली के ‘आजतक’ में कार्यरत हैं।
कंप्यूटर स्नातक राहुल झरिया ने ‘मीडिया प्रबंधन’, ‘पत्रकारिता’ और ‘हिंदी साहित्य’ समेत तीन विषयों में स्नातकोत्तर उपाधियाँ प्राप्त की हैं। उन्होंने पत्रकारिता और मीडिया प्रबंधन विषयों पर काफी काम किया है। वे एक लघु फिल्म और एक वृत्तचित्र का भी निर्माण कर चुके हैं। उनकी लघु फिल्म ‘अच्युत न्याय’ अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह के लिए नामित की गई।