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Modern Gurukul   

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Author Sonali Bendre Behl
Features
  • ISBN : 9789351869719
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Sonali Bendre Behl
  • 9789351869719
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2017
  • 152
  • Hard Cover
  • 250 Grams

Description

‘बच्चे कथनी की बजाय आपकी करनी से ज्यादा सीखते हैं।’ शिक्षक, गाइड, लीडर्स, संरक्षक एवं संस्कार देनेवाले माँबाप बच्चों के मामले में आनेवाली जटिल परिस्थितियों से निपटने में कठिनाई महसूस करते हैं। इन स्थितियों में उन्हें स्वयं मदद की जरूरत होती है। ‘मॉडर्न गुरुकुल’ पुस्तक में सोनाली बेंद्रे बहल ने एक माँ के रूप में अपने जीवन और अनुभवों के बारे में बताया है तथा सहज और बड़े व्यावहारिक ढंग से ‘बताने’ की बजाय ‘दिखाया’ है कि कैसे उन्होंने अपने पुत्र रणवीर के साथ ऐसी उलझी स्थितियों को सुलझाया है।
सभी शिक्षाविदों और एजुकेटर्स के सामने यह एक बड़ी चुनौती है। बच्चे को इस तथ्य के प्रति संवेदनशील बनाना दुष्कर कार्य है कि बाहरी दुनिया उनके विशेषाधिकार में नहीं है। उनकी ऐसे लोगों के प्रति जिम्मेदारी बनती है, जो उनसे कम सौभाग्यशाली हैं।
इस पुस्तक में सोनाली ने बच्चों के लालनपालन के सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण पहलू पर विचार किया है। निकोलस स्पार्क्स ने इसे इन शब्दों में व्यक्त किया है : ‘माँबाप बनना कैसा लगता है : यह आपके जीवन का कठोरपन दुष्कर पहलू है; लेकिन बदले में आप इससे सहज रूप में प्यार करने के मायने सीखते हैं।’
आज के भौतिकवादी युग में बच्चों को जीवनमूल्य और संस्कारों का बोध कराकर उनमें सामाजिक चेतना जाग्रत् करनेवाली एक प्रैक्टिकल हैंडबुक हर जागरूक माँबाप के लिए।

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अनुक्रम

आमुख — 7

प्रस्तावना — 9

आभारोक्ति — 15

1. स्वीकार करें कि केवल परिवर्तन ही स्थायी है — 19

2. गुरुकुल की व्यवस्था समझने का समय आ गया है — 37

3. पहला सिद्धांत : स्वयं करें — 53

4. दूसरा सिद्धांत : असफलता को स्वीकार करें — 75

5. तीसरा सिद्धांत : सीमा तय करें — 93

6. पिता की भागीदारी — 119

निष्कर्ष — 137

अन्य रुचिकर पुस्तकें — 152

 

The Author

Sonali Bendre Behl

यह मेरी ममता से मातृत्व तक की यात्रा है। भारतीय होने के नाते मैं परवरिश से जुड़ी अपनी कुछ समय की कसौटी पर खरी व ठोस प्रणालियों से परिचित हूँ, वहीं आधुनिक महिला होने के कारण मेरा मानना था कि मुझे अपने बच्चे का लालनपालन अधिक विकसित व विज्ञानसिद्ध पद्धतियों द्वारा करना चाहिए। यह कोई परंपरागत रूप में स्वालंबी बनने से जुड़ी पुस्तक नहीं है। यह माँ के रूप में मेरी यात्रा का ईमानदार व गंभीर वर्णन है। आपके लिए आवश्यक नहीं कि मेरे परवरिश के इस मार्ग का अनुसरण करें। लेकिन मुझे आशा है कि इसे पढ़कर आपको यह तसल्ली अवश्य होगी कि इसमें आप अकेले नहीं हैं; बल्कि दूसरे लोग भी ऐसी ही परिस्थितियों का सामना 
कर रहे हैं।

 

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