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भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का किया गया कोई काम या बोला गया कोई शब्द तक छिपा नहीं रह पाता। मोदी खुद अपने मेगाफोन हैं। शताब्दी का कोई अन्य भारतीय नेता शायद उनसे ज्यादा जनता की निगाह में नहीं रहता। उनके इतने सारे पहलू हैं कि वे हर किसी की कल्पना में साकार हो सकते हैं। उनकी आर्थिक उपलब्धियों को नकारना किसी भी तरह उचित नहीं है। मोदी व्यापार-समर्थक हैं, लेकिन उन्हें बाजार-समर्थक नहीं कहा जा सकता। वे उदारवादी हैं—वह भी माने हुए। मोदी निजीकरण में विश्वास नहीं करते।
नरेंद्र मोदी अफसरों को स्वतंत्रता देकर और राजनेताओं को दूर रखकर उद्यमों को लाभदायक बनाने का प्रयत्न करते हैं। हालाँकि वे ऐसे एकमात्र नेता हैं, जो निजी उद्यमों के लिए जोरदार और निरंतर आवाज उठाते हैं। वे युवाओं को लगातार प्रेरित करते हैं कि वे रोजगार सर्जक बनें, न कि रोजगार तलाशनेवाले। वे मात्र अधिकार की बात करना और दूसरों पर निर्भरता की संस्कृति के विरुद्ध हैं। वे सरकार की न्यूनतम दखलंदाजी के पक्ष में सबसे मुखर वक्ता रहे हैं। वे राज्य को दौड़ाना नहीं चाहते; लेकिन वे यह भी नहीं चाहते कि अफसरशाही रेंगते हुए आगे बढ़े।
कुशल प्रशासक के रूप में अपनी विशिष्ट छवि बनानेवाले नरेंद्र मोदी के प्रबंधन-कौशल और मैनेजमेंट विज्ञान को रेखांकित करनेवाली व्यावहारिक पुस्तक।
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अनुक्रम
भूमिका — 7
प्रस्तावना — 11
1. जबरदस्त प्रचारक — 21
2. विकास की ढाल — 54
3. कृषि के लिए नए आकर्षण — 79
4. आदिवासी जीवन का पुनर्निर्धारण — 102
5. कार्यान्वयन की चीनी शैली — 118
6. मौकापरस्त समावेशी — 135
7. परवाह किए बिना व्यापार — 146
8. मोदी के कश्मीर एवं विदेश नीति पर विचार — 158
9. मोदी की प्रेरक शक्ति — 162
30 वर्षों से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय; प्रारंभिक 10 वर्ष ‘द हिंदुस्तान टाइम्स’, ‘द ऑब्जर्वर ऑफ बिजनेस ऐंड पॉलिटिक्स’ तथा ‘इंडिया टुडे’ में कार्यरत रहे। तदुपरांत नेटवर्क
ग्रुप 18 के सी.एन.बी.सी.-टी.वी.-18 को नई ऊँचाइयाँ दीं। आर्थिक नीतियों और सुशासन में इनकी विशेष रुचि रही है।