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यह पुस्तक उस व्यक्ति की विचारधारा को सँजोने का एक प्रयास है, जो संभवतः भारत का भावी प्रधानमंत्री हो सकता है। आज तक हमारे देश में चुनाव व्यक्तियों पर लड़े गए हैं, न कि विचारों पर। और नरेंद्र मोदी ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके पास विचारों का भंडार है। ‘मोदीत्व—विकास और आशावाद का मूलमंत्र’ कृति इन विचारों को समझने का एक माध्यम है, जो नरेंद्र मोदी की विचारधारा को चित्रित करती है। यही नहीं, मोदीत्व केवल मात्र एक विचारधारा नहीं है, जो चुनावों से पहले पल्लवित हुई है, बल्कि यह उस व्यापक प्रशासनिक और राजनैतिक अनुभव का नतीजा है, जिसे श्री मोदी ने प्राप्त किया है। चौदह उद्धरण, जो इस पुस्तक के अध्याय हैं, वे गुजरात के मुख्यमंत्री होने के नाते अपने तेरह वर्ष के कार्यकाल में श्री मोदी द्वारा प्रस्तावित व घोषित किए गए हैं।
एक कार्यकुशल शासन और सुचारू रूप से नियामक मुक्त बाजार से परे ‘मोदीत्व’ हमारे जैसे विस्तृत रूप से कृषि प्रधान देश में जिस तरह से खेती की जाती है, उसे पुनः क्रियाशील बनाने और उस पर पुनः विचार करने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ है।
शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल की दोहरी समस्याएँ, जो गंभीरता से भारत की प्रगति को अवरुद्ध कर रही हैं, ‘मोदीत्व’ नीति प्रतिपादन पर एक भिन्न सोच प्रस्तुत करता है।
‘मोदीत्व’ धर्मनिरपेक्षता को भी परिभाषित करता है, यह एक ऐसा शब्द है, जिसका राजनैतिक फायदों के लिए व्यापक रूप से दुरुपयोग किया जाता रहा है। ‘मोदीत्व’ धर्मनिरपेक्षता की मूल व्याख्या पर लौटने का आह्वान करता है, जो भारत की वास्तविक विचारधारा में समाहित है।
‘मोदीत्व’ की सोच वास्तविक वृद्धि, सर्वांगीण विकास व सामाजिक सामंजस्य में विश्वास करती