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Author Dr. Pramod Jain
Features
  • ISBN : 9789392013027
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
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More Information

  • Dr. Pramod Jain
  • 9789392013027
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2021
  • 112
  • Hard Cover
  • 200 Grams

Description

द्वद्वों के धुँधलकों, ऊहापोह के बादलों, अनिश्चितता के अँधेरों या परिस्थितियों के जालों में फँसकर मन जब असहाय हो जाता है, तब हम सबने महसूस किया है कि अचानक अनायास खुलता है—‘झरोखा’, कौंधती है—‘बिजली’, फैल जाता है—‘प्रकाश’ या मिलता है—‘एक मोड़’। फिर साफ हो जाती है—‘दृष्टि’, दिखता है—‘विराट आकाश’, हो जाता है—‘निर्णय’ और बदलने लगती है—‘परिस्थिति’। ये कविताएँ जीवन के उन्हीं अनुभवों को शब्द देती हैं। हम सबके अनुभव, हम सबके शब्द।

The Author

Dr. Pramod Jain
डॉ. प्रमोद जैन
गोल्ड मेडेलिस्ट शिशु रोग विशेषज्ञ ओशो संन्यासी। वर्तमान में रीवा (म.प्र.) में गुरुकृपा अस्पताल का संचालन। 
व्यंग्य : ‘कुर्सीनामा’, ‘शिक्षा में शांति’।
गद्य : ‘यादें पिछले जन्मों की’, ‘क्रोध से करुणा की ओर’, ‘़फेसबुक फ्रेंड्स एवं छत्तीस कहानियाँ’।
पद्य : ‘गुलदस्ता’, ‘ज़िंदगी एक ़गज़ल’ एवं ‘यात्रा’। 
इ-बुक : ‘ओशो के इश़्क में’, ‘ओशो तुम हो कितने प्यारे’, ‘ओशो की राहों में’, ‘ओशो सहस्र अलंकार’।
भाषांतरण : ‘आत्माओं की यात्रा’ व ‘आत्माओं की महायात्रा’।
उप-संपादक : सु़खनवर।
कहानी एवं कविताएँ अ़खबार व पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित एवं रेडियो से प्रसारित, कई गीत संगीतबद्ध। 
सम्मान : भाषा भारती, विंध्य शीर्ष शिखर एवं अ.भा.दि. जैन परिषद्।
संपर्क : ९४२५१८५००६
इ-मेल : drpramodjain123@rediffmail.com,www.drpramodjain.com

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