Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Mr. M.K. Gandhi ki Champaran Diary   

₹400

Out of Stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Arvind Mohan
Features
  • ISBN : 9789352661206
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Arvind Mohan
  • 9789352661206
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2017
  • 192
  • Hard Cover

Description

महात्मा गांधी को तब मिस्टर एम.के. गांधी या मिस्टर गांधी ही कहा जाता था। गांधी का चम्पारण पहुँचना एक युगांतरकारी घटना साबित हुई, पर यह प्रयोग कई मायनों में विलक्षण था। गांधी की स्वीकार्यता को बताने के साथ ही अन्याय सहनेवाले जीवंत समाज में प्रतिरोध की शक्ति के उभरने तथा खुद गांधी द्वारा अपनी पूरी ईमानदारी, निष्ठा, दम व समझ के साथ स्थानीय लोगों तथा समस्याओं से एक रिश्ता जोड़ने एवं उन हजारों-लाखों द्वारा झट से गांधी पर भरोसा करके उनको अपनाने की अद्भुत दास्तान भी है। यह अहिंसात्मक ढंग से जनता की भागीदारी और सत्य पर आधारित आंदोलन की अन्याय विरोधी शक्ति को रेखांकित करनेवाला पहला प्रयोग है।
गांधी पूरब से आए यानी कलकत्ते से और आखिर में पश्चिम अर्थात् अहमदाबाद निकल गए। कुल मिलाकर साढ़े नौ महीने चम्पारण में रहे। बाद में किसी भी आंदोलन में और किसी भी जगह पर उन्होंने इतना समय नहीं लगाया। जब अंग्रेजी सत्ता और निलहा जमात उनको चम्पारण जाने से रोक रहा था तथा टिकने नहीं दे रहा था, तब वे सबकी छाती पर मूँग दलते हुए वहीं बैठे रहे एवं अपने बाकी कामों की परवाह भी नहीं की।
नील के किसानों के शोषण के विरुद्ध शुरू हुए प्रसिद्ध एवं ऐतिहासिक चम्पारण आंदोलन की रोमांचक कहानी। रोज-रोज के सच्चे विवरणों के माध्यम से चम्पारण सत्याग्रह की पूरी कहानी।

 

The Author

Arvind Mohan

अरविन्द  मोहन  जनसत्ता, हिंदुस्तान, इंडिया टुडे, अमर उजाला, सी.एस.डी.एस. और ए.बी.पी. न्यूज से जुड़े रहे हैं। बाहर भी उन्होंने लिखा और टीका-टिप्पणियाँ की हैं। इतना ही नहीं, कई बार नियमित पत्रकारिता से ब्रेक लेकर कुछ गंभीर काम किए हैं, जिनमें पंजाब जानेवाले बिहारी मजदूरों की स्थिति का अध्ययन, देश की पारंपरिक जल संचय प्रणालियों पर पुस्तक का संपादन और गांधी के चंपारन सत्याग्रह पर पुस्तक शामिल है, जो जल्दी ही प्रकाश में आनेवाली है। उन्होंने करीब एक दर्जन पुस्तकों का लेखन-संपादन किया है और इतनी ही चर्चित पुस्तकों का अनुवाद। कई पुरस्कारों और सम्मानों से विभूषित किए गए हैं। अरविन्द दिल्ली विश्वविद्यालय और जामिया मिल्लिया समेत कई संस्थानों में मीडिया अध्यापन भी करते हैं। अभी वे महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्व-विद्यालय के अतिथि लेखक और ए.बी.पी. न्यूज के राजनैतिक विश्लेषक हैं।

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW