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यह सब तब आरंभ हुआ, जब सरिता तँवर ने मुझसे पूछा कि क्या मैं उसके समाचार-पत्र के लिए एक मजाकिया साप्ताहिक स्तंभ लिखना चाहूँगी। उसने दो-टूक शब्दों में कहा, ‘तुम छिछोरे किस्म के चुटकुले सुनाती हो और लगातार पढ़ती ही रहती हो। मुझे पूरा यकीन है कि तुम लिख सकती हो।’
मैंने उसे समझाना चाहा कि लाखों लोग लगातार क्रिकेट का मैच देखते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि वे सभी इस खेल में भी माहिर होंगे। पर उसने मुझे टोकते हुए कहा कि कम-से-कम शुरुआत तो की जाए, उसके बाद जो होगा, देखा जाएगा।
मैं लेखन के बारे में सही मायने में क्या जानती हूँ? मेरी किशोरावस्था में लिखी गई एक अधूरी किताब की स्मृति आँखों के आगे कौंध गई। इसके साथ ही एक फाइल भी याद आई, जिसमें मौत और अपनी सनक से जुड़ी सारी भयानक कविताएँ दर्ज हैं। मेरे पूरे लेखन-अनुभव को इसमें ही सँजोया जा सकता है।
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अनुक्रम
प्रस्तावना — 7
आभार — 9
1. या मैं इडियट हूँ? — 15
2. प्यारी मॉम से सावधान — 23
3. सिर्फ बीवियों पर ही चलती है भारतीय पतियों की — 31
4. एक अदद आदर्श बहू — 39
5. वाह! माँ, मैं किसी को भी प्रेग्नेंट कर सकता हूँ — 47
6. सिर चढ़कर बोला फिटनेस का भूत — 53
7. हे भगवान्! ये वजन की मशीन गड़बड़ है — 61
8. घर में तूफान — 67
9. यों मनाऊँ मैं वेलेंटाइन डे? — 73
10. जून में छोड़ दो मुझे अकेला — 81
11. करण जौहर का करवाचौथ — 89
12. प्यार के इफेट — 95
13. नकाबपोश डाकू ताक में है! — 101
14. मैं कैसे पहुँची मंगल पर? — 109
15. ओह नहीं! मैं हिरासत में हूँ! — 117
16. बस, छोड़ना मत! — 121
17. एक-चौथाई सदी से पहले — 127
18. अरे, जल्दी से उलटी करनेवाला बैग लाओ!! — 135
19. तो आखिर बदला या है, माँ? — 141
20. सफर की दिकतें — 145
21. मजबूरी में हुए निर्वस्त्र — 151
22. जीत कलाइयाँ काटने से नहीं मिलती — 157
23. घर के कबूतर फुर्र... 165
24. बिल्कुल माँ जैसी चाहिए — 173
25. नन्हे अभागे — 179
26. भगवान् के लिए अपना मुँह बंद रखो — 185
ट्विंकल खन्ना उर्फ मिसेज फनीबोन्स व्यंग्यात्मक कहानियों की रचनाकार हैं। जब डिजाइन बिजनेस चलाने, मोमबत्तियों की बिक्री करने या अपने परिवार के सर्किल में व्यस्त नहीं होतीं, तो मनोरंजक व विनोदप्रिय रचनाएँ तैयार करती हैं। जिस समय बॉलीवुड जगत् उन्हें कम करके आँक रहा था, उस समय उन्होंने फैसला लिया और बिना कोई नुकसान उठाए चकाचौंध की इस दुनिया से बचकर निकल गईं।
वे टाइम्स ऑफ इंडिया तथा डी.एन.ए. आफ्टर आवर्स की लोकप्रिय स्तंभकार हैं। इस समय वे गुदगुदाने और हँसानेवाले चुटकुले बनाती हैं, जैसे ‘हिंदू लड़के अपनी माँ की पूजा क्यों करते हैं?’ क्योंकि उनके धर्म में बताया गया है कि गाय हमारी माता है। उनका दृढ विश्वास है कि जिंदगी में हँसी के अलावा और कोई पवित्र या शुद्ध चीज नहीं है।