₹300
आज के युग में अगर मौलिक कविता और मौलिक कवि की बात की जाए तो मैं यहाँ पर पंकज शर्मा का नाम लेना चाहता हूँ, जिन्होंने पत्रकारिता के साथ-साथ कविताओं के संसार में अपनी रचनात्मकता से अलग पहचान बनाई है। मैं कभी किसी के ऊपर ज़्यादा कुछ कहता नहीं। किसी के लिए भूमिकाएँ नहीं बाँधता लेकिन पंकज मेरे दिल के बहुत करीब हैं। उनके लेखन में एक अलग बात है जो कवियों की भीड़ में उन्हें अलग बनाती है। संस्कार और अपनी मिट्टी की परंपरा को गीतों में ढालकर प्रस्तुत करने की उनमें विशेष कला है। दो-तीन बार मैंने पंकज के साथ मंच साझा किया तो मैंने ये महसूस किया कि पंकज जब अपने गीत सुनाते हैं तो सुननेवाले खुद को भुलाकर उनके गीतों में डूब जाते हैं। ये एक कवि के लिए सबसे बड़ा उपहार होता है। पंकज आनेवाले दौर के बड़े गीतकार कहलाए जाएँगे, ये मेरा मानना है। उनकी आनेवाली पुस्तक ‘मुझसे मिलने आओगी क्या...’ को ढेरों शुभकामनाएँ और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए यही कहूँगा कि पंकज जैसे कवि, पत्रकार और कोमल हृदयवाले लोग कम देखने को मिलते हैं...आशीर्वाद पंकज।
—संतोष आनंद
‘‘पंकज को पढ़ना ऐसे है जैसे किसी चित्रकार की पेंटिग को निहारना। एक संवेदनशील हृदय जो ख्वाब बुनता है और उन ख्वाबों को शक्ल देता है गीत, गज़ल या नज़्म की शक्ल में। पंकज का लेखन उन्हें युवा दिलों की धड़कन बनाता है। नई पीढ़ी में उनके गीतों के लिए दीवानगी रहती है। पंकज के दूसरे काव्य संग्रह के लिए मेरी ढेरों शुभकामनाएँ।’’
—श्वेता सिंह, सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर, आजतक
‘‘अपनी धुन में मगन रहने वाला, पीर और प्रेम को गीतों में गुनगुनानेवाले मस्तमौला रचनाकार हैं पंकज। उनकी रचनाएँ कभी दशकों पुराने दौर में ले जाती हैं तो कभी लगता है कि कल की ही कोई बात कही हो। कहा जा सकता है कि भविष्य की संभावनाओं के स्तंभ कवि हैं पंकज। मेरी दुआ है कि वो ऐसे ही गुनगुनाते रहें, लिखते रहें और मुसकराते रहें।’’
—सईद अंसारी, सीनियर एडिटर, आजतक
‘‘साहित्य में शब्द की मर्यादित ध्वनियों से लेकर, मंच से देखे-सुने जानेवाले कविता-कौशल तक, पंकज शर्मा धीरे-धीरे युवा-कविता का ‘नाम’ बनते जा रहे हैं। मैं जानता हूँ, पंकज आज जहाँ हैं, वहाँ से और आगे जाएँगे। सितारों में अपना नाम शुमार करवाएँ, उन्हें मेरी खूब सारी दुआएँ हैं। ’’
—आलोक श्रीवास्तव, कवि-पत्रकार
‘‘पंकज की कविताओं में एक अपनापन है। ओज की कविताएँ हों या प्रेम की, पंकज की कलम हर भाव को का़गज़ से होते हुए, पढ़ने और सुननेवाले के दिल तक ले जाने का माद्दा रखती है। उनकी यही खूबी, उनको अपने दौर के बा़की युवा कवियों से अलग करती है। पंकज को इस नए कविता संग्रह के लिए शुभकामनाएँ।’’
—रोहित सरदाना, एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर, आजतक
‘‘पंकज के गीत तो सबके मनमीत हैं। अकसर मौका मिला है पंकज के अनगढ़ गीतों या फिर तैयार गीतों का पहला श्रोता बनने का। और ये गीत क्या हैं हर उम्र और हर पड़ाव के दिलों की दास्ताँ हैं। मैं गारंटी से कह सकता हूँ कि ये गीत सुनते वक्त सबके जेहन में एक ही सीन चलता होगा, बस किरदार अपने-अपने होते होंगे...’’
—संजय शर्मा, एसोशिएट एडिटर, आजतक
____________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________
अनुक्रम
भूमिका : साधन नहीं, साधना का कवि —Pgs. 7
पीर की पुकार का पारावार —Pgs. 11
आभार —Pgs. 17
1. प्रणय —Pgs. 25
2. पीर —Pgs. 26
3. कुछ देर ठहर जा साँवरिया —Pgs. 27
4. प्रेम-पीर —Pgs. 29
5. प्रेम गीत —Pgs. 30
6. मुझसे मिलने आओगी क्या? —Pgs. 31
7. तुम्हारा है —Pgs. 33
8. शायद कोई मुझसे रूठा —Pgs. 34
9. मेरे गीत सुनो —Pgs. 36
10. गीत आधी रात का —Pgs. 37
11. जोगी —Pgs. 38
12. तुम —Pgs. 40
13. राजा-रानी —Pgs. 41
14. सूनी अटरिया —Pgs. 42
15. परिचय —Pgs. 44
16. विदाई —Pgs. 45
17. आवारगी —Pgs. 47
18. वो बूढ़ा —Pgs. 48
19. कहानी —Pgs. 49
20. कौन —Pgs. 50
21. एक राजा एक रानी है —Pgs. 51
22. उल्फ़त —Pgs. 52
23. ओ बाबा —Pgs. 53
24. इश्क़ —Pgs. 54
25. कारोबार —Pgs. 55
26. रूह —Pgs. 56
27. शुक्रिया तुम्हारा —Pgs. 57
28. जागीर —Pgs. 58
29. ज़िद्द —Pgs. 59
30. मंथन —Pgs. 60
31. भटकन —Pgs. 61
32. बेईमानी —Pgs. 62
33. ज़िंदगी —Pgs. 63
34. सिफ़र —Pgs. 64
35. दरिया —Pgs. 65
36. इक नज़र —Pgs. 66
37. आँसू —Pgs. 67
38. वादा —Pgs. 68
39. औरत —Pgs. 69
40. क़तरा —Pgs. 70
41. क्यों हो —Pgs. 71
42. ख़्वाब —Pgs. 72
43. वैराग —Pgs. 73
44. रह जाएगा —Pgs. 74
45. औरत —Pgs. 75
46. रंग —Pgs. 76
47. तू —Pgs. 77
48. तुम कहो तो —Pgs. 78
49. ज़िंदगी —Pgs. 79
50. चला आऊँगा —Pgs. 80
51. पैग़ाम —Pgs. 81
52. सावन —Pgs. 82
53. जीवन गणित —Pgs. 83
54. बाबा —Pgs. 85
55. रौशनी —Pgs. 87
56. रहने दूँ —Pgs. 88
57. यहाँ की बात —Pgs. 89
58. मैं अशोक —Pgs. 90
59. बीता साल —Pgs. 91
60. नाम —Pgs. 92
61. बस यूँ ही —Pgs. 94
62. बचपन —Pgs. 95
63. फिर मिलूँगा —Pgs. 96
64. गुज़रा हुआ कल —Pgs. 98
65. आहत —Pgs. 99
66. वक़्त —Pgs. 101
67. रेस —Pgs. 103
68. ये दिल्ली है मेरे यार —Pgs. 104
69. जीवन —Pgs. 105
70. हम —Pgs. 106
71. सुनो ब्रूटस —Pgs. 107
72. आजकल —Pgs. 108
73. तू शहीद हो —Pgs. 109
74. मुर्दे —Pgs. 110
75. हम —Pgs. 111
76. लोकतंत्र —Pgs. 112
77. वो —Pgs. 113
78. उजियारा —Pgs. 114
79. मौसम —Pgs. 115
80. बुरी आदत —Pgs. 116
81. दाँव —Pgs. 117
82. इशारा —Pgs. 118
83. मुकम्मल —Pgs. 118
84. हासिल —Pgs. 119
85. चाँद मैं उसका —Pgs. 120
86. सलाम करो —Pgs. 121
87. लब —Pgs. 122
88. मंज़िल —Pgs. 122
89. कब थी? —Pgs. 123
90. जाने क्या —Pgs. 124
91. इति —Pgs. 125
92. वस्ल की रात —Pgs. 126
93. कोहिनूर —Pgs. 127
94. गंगा का तट —Pgs. 128
95. इश्क़ —Pgs. 129
96. उम्र —Pgs. 130
97. लेखन —Pgs. 132
98. फ़रियाद —Pgs. 133
99. स्वीकार है —Pgs. 134
100. यादें —Pgs. 135
101. जाने क्यूँ —Pgs. 136
102. सैलाब —Pgs. 137
103. मैं —Pgs. 138
104. अंतिम रस्म —Pgs. 139
105. सवालों —Pgs. 140
106. मीरा —Pgs. 141
107. जद्दोजहद —Pgs. 142
108. इश्क़ आजकल —Pgs. 143
109. अदब —Pgs. 144
110. मणिकर्णिका का घाट —Pgs. 145
111. अब भी हूँ —Pgs. 146
112. इबादत —Pgs. 147
113. विदा —Pgs. 148
114. ईमां —Pgs. 150
115. और क्या —Pgs. 151
116. नहीं मिलेंगे —Pgs. 152
117. परवरदिगार —Pgs. 153
118. ज़बान —Pgs. 154
119. और जाने क्या —Pgs. 155
120. पैग़ाम —Pgs. 156
121. अंजाम —Pgs. 157
122. भुगतेंगे —Pgs. 158
123. संदेशा —Pgs. 159
124. रुख़सत —Pgs. 160
पंकज शर्मा
जन्म : 09 मई, 1979, बिसौली, बदायूँ (उ.प्र.)।
शिक्षा : एम.ए. अंग्रेज़ी, पत्रकारिता।
कृतित्व : उन्नीस बरसों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कार्यरत, दूरदर्शन के सुबह-सवेरे में काम किया, कई डॉक्यूमेंटरीज लिखीं, दो साल इंडिया टी.वी. में काम किया। अब 11 साल से ज़्यादा आजतक न्यूज चैनल में सीनियर प्रोड्यूसर के पद पर कार्यरत, विशेष पहचान आजतक के ‘सो सॉरी’ कार्यक्रम को लिखने और उसको आवाज़ देने से मिली।
‘बदायूँ श्री सम्मान’ और ‘आदि संवाददाता सम्मान’ मिल चुका है; रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं।
‘चाँद तुम गवाह रहना’ प्रकाशित। दो और किताबें, जिनमें कहानियाँ हैं और एक उपन्यास है, प्रकाशन के लिए तैयार; तीसरी भी आधी से ज्यादा लिखी जा चुकी है, जिसमें एक सदी के इतिहास को समेटा है।
संपर्क : एम-64 (ग्राउंड फ्लोर), सेक्टर-12, नोएडा-201301 (उ.प्र.)
दूरभाष : 9871888746
इ-मेल : pankajdwijendra@gmail.com