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दादा जे.पी. वासवानी हमेशा से उत्कृष्ट किस्सागो रहे हैं। उनकी अनौपचारिक वार्त्ताओं, प्रवचनों और पुस्तकों में भी पुराणों की कहानियाँ बहुतायत से बिखरी होती हैं, ताकि वे उन बातों को सुस्पष्ट कर सकें, जिन्हें वे चाहते हैं कि हम आत्मसात् कर लें। ये कहानियाँ इतनी यादगार हैं कि एक लंबे समय तक हमारे दिलों में बसी रहती हैं तथा उन संदेशों या जीवन-मूल्यों को हृदयंगम करने में हमारी मदद करती हैं, जिन्हें दादा ने इतने रचनात्मक रूप में हमारे सामने रखा है।
इस पुस्तक में, पूज्य दादा की वार्त्ताओं और पुस्तकों से चुनी हुई एक सौ कहानियाँ संगृहीत हैं। प्रत्येक कहानी के साथ आपके द्वारा मनन करने के लिए आदरणीय दादा का या उनका पसंदीदा विचार तथा एक पुस्तक के रूप में व्यावहारिक अभ्यास भी दिया गया है, जो दादा की अपनी विशेषता है, जिसका अनुसरण करके आप लाभान्वित हो सकते हैं।
न भूलनेवाली एक सौ रोचक-ज्ञानवर्धक कहानियों का प्रेरणादायक संग्रह।
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अनुक्रम | |
1. एक सूफी दरवेश की साक्षी — 11 | 51. जीवन संघर्ष — 112 |
2. प्रधानमंत्री की प्रतीक्षा — 13 | 52. सफलता पाने का कोई सरल उपाय नहीं है — 114 |
3. उदारता का पुरस्कार — 15 | 53. खुशी चक्र की तरह घूमती है — 116 |
4. महामारी — 17 | 54. ईश्वर के पदचिह्न — 119 |
5. प्यार सीमाएँ नहीं जानता — 19 | 55. प्रेम की रूपांतरकारी शक्ति — 121 |
6. शिक्षक या राष्ट्रपति? — 21 | 56. प्रतिभा की कद्र करें — 123 |
7. दुःख मन को निर्मल करता है — 23 | 57. सच्चे सुख का रहस्य — 125 |
8. सड़े हुए सेबों का उपयोग — 25 | 58. सच्ची संपदा — 127 |
9. ओक या कुम्हड़ा — 27 | 59. कभी, कभी, कभी हार न मानें — 129 |
10. दो से खुशी — तीन से लुटी — 29 | 60. कभी बुरा न मानें — 131 |
11. जो काम करना है, उसे कर लें — 31 | 61. ऐसी शक्ति — जिसका नाम ईश्वर है — 133 |
12. नारियल जिसे तोड़ा न जा सका — 33 | 62. जब गांधी का मन द्रवित हुआ — 135 |
13. जैसा करोगे वैसा भरोगे — 35 | 63. उसकी खातिर — 137 |
14. बस पाँच मिनट से ज्यादा नहीं! — 37 | 64. धन्य हैं वे, जो क्षमा कर देते हैं — 140 |
15. ला गार्डिया का फैसला — 39 | 65. ईश्वर की इच्छा सर्वोपरि — 142 |
16. खुद को आजाद करें — 41 | 66. प्रेम का चमत्कार — 144 |
17. सच्चा दोस्त कौन है? — 43 | 67. आपके राज्य का विस्तार कहाँ तक? — 146 |
18. सबसे बड़ी संपदा — 45 | 68. बस! अब बहुत हो चुका — 148 |
19. जीने की सच्ची कला — 47 | 69. एक शहंशाह ने कैसे सबक सीखा — 150 |
20. सरल रहस्य — 49 | 70. बाहरी दिखावा — 152 |
21. अनिवार्य यात्रा — 51 | 71. ईश्वर परोपकारी से प्यार करता है — 154 |
22. ईश्वर प्रेम की खातिर काम करें — 53 | 72. अपना काम अच्छी तरह करो — 156 |
23. राष्ट्र के लिए बलिदान — 55 | 73. एक अनुपम उदाहरण — 158 |
24. माँ, मुझे आपकी जरूरत है — 57 | 74. महान् व्यक्ति सादगी से भरे होते हैं — 160 |
25. असंभव बना संभव — 59 | 75. मेरा खजाना स्वर्ग में है — 162 |
26. पोल्की की तरह संवेदनशील — 61 | 76. माता-पिता ध्यान दें — 164 |
27. मैं खुश हूँ कि मैं अनपढ़ हूँ — 63 | 77. सर्वश्रेष्ठ मित्र — 166 |
28. ततः किम? (फिर क्या?) — 65 | 78. उसने अपने दिमाग से काम लिया — 168 |
29. सर्वोत्तम को उजागर करें — 67 | 79. सर्वोत्तम विरासत — 170 |
30. राजा ने नौकर से माफी माँगी — 69 | 80. परम सुख — 172 |
31. उसने अपना लक्ष्य तय कर लिया — 71 | 81. बच्चे मन के सच्चे — 174 |
32. आध्यात्मिक जीवन का आधार — 73 | 82. सुंदरता देखनेवाले की आँखों में — 176 |
33. चलते रहो — 75 | 83. क्षमा करें और भूल जाएँ — 178 |
34. ईश्वर सबका ध्यान रखता है! — 77 | 84. आशावादी — 180 |
35. सफलता का रहस्य — 79 | 85. विधवा का योगदान — 182 |
36. किसी को हल्के में न लें — 81 | 86. होंडा की लक्ष्य प्राप्ति — 184 |
37. भगवान् कभी नहीं सोते — 83 | 87. सुरक्षित आगमन — 186 |
38. चौरानबे की आयु में ब्वॉयफ्रेंड्स! — 85 | 88. प्रत्येक वही देता है, जो उसके पास है — 188 |
39. दि मूनलाइट सोनाटा — 87 | 89. एक बच्चे की शिकायत — 190 |
40. सुखी विवाहित जीवन का रहस्य — 89 | 90. दोनों एक समान — 192 |
41. सहृदयता का सूचकांक — 91 | 91. देने का आनंद — 194 |
42. ईश्वर के हाथों में सुरक्षित — 93 | 92. जीवन का उद्देश्य — 196 |
43. हँसी में उड़ा दें — 95 | 93. प्रशंसा करो! — 198 |
44. मौत का सामना — 97 | 94. शिष्टाचार का महत्त्व — 200 |
45. ईश्वर पर छोड़ दें — 99 | 95. ‘मैं’ का भाव त्यागो — 202 |
46. वर्तमान में जीएँ — 101 | 96. बुद्धिमत्ता प्रतिभा से बेहतर है — 204 |
47. समय प्रबंधन — 103 | 97. हम हमेशा देर से जागते हैं — 206 |
48. जन प्रबंधन — 105 | 98. पहले आग बुझाइए — 208 |
49. गीता का सार — 107 | 99. जीसस बेहतर जानते थे — 210 |
50. सर्वाधिक ज्ञानी व्यक्ति — 110 | 100. डबलरोटी पत्थर बन गई — 212 |
दादा जे.पी. वासवानी भारत के सर्वाधिक सम्मानित आध्यात्मिक विभूतियों में से एक हैं। वे प्रसिद्ध साधु वासवानी मिशन के प्रमुख संचालक हैं, जो कि एक अंतरराष्ट्रीय, लाभ-निरपेक्ष, समाज कल्याण और सेवा से जुड़ा संगठन है। इसका मुख्यालय पुणे में है और दुनिया भर में इसके कई सक्रिय केंद्र हैं।
2 अगस्त, 1918 को हैदराबाद-सिंध में जन्मे दादा एक बहुत होनहार छात्र थे, जिन्होंने सुनहरा शैक्षणिक कॅरियर छोड़कर आज के बेहद सम्मानित संत, अपने चाचा और गुरु साधु वासवानी के प्रति अपना जीवन समर्पित कर दिया।
शाकाहार के प्रबल समर्थक दादा ने गुरुदेव साधु वासवानी के रास्ते पर चलते हुए, सभी जीवों के प्रति सम्मान के संदेश को फैलाना ही अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया। उनके प्रेरक नेतृत्व में साधु वासवानी मिशन ने आध्यात्मिक प्रगति, शिक्षा, चिकित्सा, महिला सशक्तीकरण, ग्रामोत्थान, राहत और बचाव, पशु कल्याण, ग्रामीण विकास तथा समाज के वंचित वर्गों की सेवा के विभिन्न सेवा-कार्यक्रमों के लिए निरंतर गंभीर और प्रबल काम किए हैं। दादा अपने गुरु के इन शब्दों पर दृढ विश्वास करते हैं—‘निर्धनों की सेवा ही ईश्वर सेवा है।’
विनोदप्रिय वक्ता और प्रेरक लेखक दादा ने सौ से ज्यादा पुस्तक-पुस्तिकाएँ लिखी हैं और 98 वर्ष की उम्र में भी उनकी ऊर्जा और उत्साह किसी युवा से कम नहीं हैं। आध्यात्मिक गुरु, शिक्षाविद् और दार्शनिक दादा जे.पी. वासवानी भारत के ज्ञान और वैश्विक भावना के सच्चे और आदर्श प्रतिरूप हैं।ष्