विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सामाजिक तथा आर्थिक उन्नति के शक्तिशाली साधन हैं । इन दोनों ने ही आज के विकसित देशों के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई है । औद्योगिक युग में ऊर्जा की उपलब्धि का अपना एक महत्त्वपूर्ण स्थान होता है । इसमें विद्युत् ऊर्जा को विकास का मेरुदंड कहा जा सकता है । विश्व स्तर पर नाभिकीय ऊर्जा के अनेकानेक उपयोग-बिजली निर्माण, रिएक्टर, चिकित्सा, कृषि, ऊर्जा, औद्योगिक क्षेत्र एवं वैश्लेषिक क्षेत्र इत्यादि में हो रहे हैं; जिनसे जनसाधारण को, विशेषत: चिकित्सा क्षेत्र में जटिल रोगों के निदान में, बहुत राहत मिली है ।
इसी नाभिकीय ऊर्जा का दूसरा उपयोग विध्वंसक रूप में परमाणु बम, हाइड्रोजन बम एवं अन्यान्य शक्तिशाली बमों के निर्माण में किया जाता है । अत: जनमानस को इसके बारे में जानकारी होना अति आवश्यक है । प्रस्तुत पुस्तक ' नाभिकीय ऊर्जा ' में परमाणु ऊर्जा से जुड़े सभी संभाव्य पहलुओं-ऊर्जा संसाधनों का प्रादुर्भाव, नाभिकीय विखंडन, नाभिकीय रिएक्टर, बिजलीघर, रेडियो आइसोटोपों के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग, नाभिकीय ऊर्जा एवं पर्यावरण, परमाणु बम विस्फोट और उसके प्रभाव तथा नाभिकीय विकिरण से सुरक्षा के उपायों के बारे में सरल एवं सुबोध भाषा में जानकारी प्रदान की गई है । अनेक स्थानों पर दिए गए चित्र विषय को समझने में सरलता प्रदान करते हैं ।
जोधपुर में जनमे विज्ञान की उच्चतम शिक्षा प्राप्त, देश-विदेश की दस लब्ध-प्रतिष्ठ विज्ञान-संस्थाओं के चयनित फेलो, रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री, लंदन से चार्टर्ड केमिस्ट की सम्मानोपाधि प्राप्त देश के वरिष्ठ विज्ञान संचारक। विगत 38 वर्षों से हिंदी में विज्ञान-लेखन और विज्ञान लोकप्रियकरण में रत डॉ. दुर्गादत्त ओझा की पुरातन एवं अद्यतन विज्ञान विषयों पर हिंदी में 50 से अधिक कृतियाँ, सहस्राधिक विज्ञान आलेख एवं शताधिक शोध-पत्र प्रकाशित हैं।
भूजल विभाग जोधपुर के अवकाश प्राप्त वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. ओझा को अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों एवं सम्मानोपाधियों से अलंकृत किया गया है, जिनमें प्रमुख हैं—राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान पुरस्कार, राष्ट्रीय विज्ञान-संचार पुरस्कार, राष्ट्रीय ग्रामीण साहित्य पुरस्कार, महामहिम राष्ट्रपति से डॉ. आत्माराम पुरस्कार, मेदिनी पुरस्कार आदि। डॉ. ओझा देश-विदेश की अनेक विज्ञान-संस्थाओं से जुड़े हुए हैं तथा विज्ञान विषयक कई पत्रिकाओं एवं शोध-जर्नलों के संपादक मंडल के सदस्य हैं।