सफलता के मंदिर तक पहुँचने के लिए सतर्कता और एकाग्रता की महती आवश्यकता है, जैसे पनिहारिन सिर पर गगरी रखकर सतर्क और एकाग्रचित्त होकर ही तो पनघट तक पहुँचती है, धीरे-धीरे कदम रखकर। जब चलोगे, तभी तो मंजिल मिलेगी, उसके लिए सुनिश्चित लक्ष्य जरूरी है।
लक्ष्य प्राप्त करने या मंजिल तक पहुँचने में गरीबी, अभाव, हीनता और विकलांगता जैसी मुसीबतें बाधक नहीं हैं। अनेक घातों-प्रतिघातों और ठोकर खाकर ही व्यक्ति मंजिल पर पहुँच पाता है। पत्थर पर घिसे जाने के बाद ही तो रंग लाती है मेहँदी। अरे! चलो तो सही, राह के शूल आल्थस फूल बन जाएँगे। चट्टानें मोम हो जाएँगी। नेपोलियन के सामने आल्प्स पर्वत भी हिम्मत हार गया था।
इस पुस्तक का उद्देश्य आपके अंदर प्रसुप्त अनेक आत्मिक शक्तियों को जगाना है; ऐसी योग्यता को संप्रेरित करना है, जिससे आप सचेतन प्रयास से सितारों की दुनिया से आगे जा सकें।
जन्म : 15 जुलाई, 1934 को नगला पांडव, जनपद-एटा (उ.प्र.) में।
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी, समाजशास्त्र, इंग्लिश), पी-एच.डी. (आगरा विश्वविद्यालय)।
प्रकाशन : ‘ब्रज का देवपरक लोक साहित्य एवं संस्कृति’ (शोध), ‘जाहरपीर’, ‘दिव्यात्मा’, ‘ईश्वर कहाँ गया’ (उपन्यास), ‘क्रांतिदूत मुलायम सिंह’, ‘अमीर खुसरो’, ‘अशफाकउल्ला खाँ’ (जीवनी), ‘चंद्रशेखर आजाद’, ‘ताज महल’, ‘रिटायरमेंट के बाद सुखी जीवन’ (खंड काव्य), ‘श्याम तेरी बंसी बजे धीरे-धीरे’ (ब्रज के कृष्णपरक लोक गीतों का संकलन), ‘बुढ़ापा विज्ञान’, ‘बहनों से दो बातें’, ‘The way of Smart Living’, ‘Taj Mahal’ (A Ballad in English), ‘Life after Retirement’, ‘Mulayam Singh: A Political Biography’।
अध्यक्ष, अमीर खुसरो फांउडेशन, राजनैतिक एवं सामाजिक चेतना के अनेक लेख, ऑल इंडिया रेडियो पर अनेक वार्त्ताओं का प्रसारण।
संप्रति : सृजन के साथ-साथ शिक्षा एवं सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय।
संपर्क : 20 सुनहरी नगर, एटा (उ.प्र.)। दूरभाष :09456444894