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लच्छू वापस जंगल की ओर चल पड़ा। पेड़ के पास पहुँचकर उसने कहा, “वृक्ष देवता, मेरी पत्नी ढेर सारा भोजन चाहती है।”
“जाओ, मिल जाएगा।” वृक्ष देवता ने आश्वासन दिया। लच्छू जब वापस अपने घर पहुँचा तो उसने देखा कि उसका घर अन्न के बोरों से भरा पड़ा है। अब कमली और लच्छू दोनों खुश थे।
परंतु उनकी खुशी ज्यादा दिनों तक नहीं रही। कुछ दिन बीतने पर एक दिन कमली फिर बोली, “केवल अन्न से क्या होगा? उससे कुछ कपड़े भी माँग लो।” लच्छू एक बार फिर पेड़ के पास पहुँचा और बोला, “वृक्ष देवता, हमें कपड़े चाहिए।”
“ठीक है, मिल जाएँगे।” वृक्ष देवता ने आश्वासन दिया।
लच्छू और कमली खुशी-खुशी रहने लगे थे। परंतु वे ज्यादा दिन तक खुश नहीं रह सके। एक दिन कमली ने कहा, “केवल लकड़ियों, कपड़ों और अन्न से क्या होगा? हमें एक अच्छा सा घर भी चाहिए। जाओ, वृक्ष देवता से घर माँगो।”
—इसी पुस्तक से
आशा है, बच्चों में नैतिकता तथा शिष्टाचार का संस्कार करनेवाली ये कहानियाँ बच्चों का मनोरंजन तो करेंगी ही, भरपूर ज्ञानवर्द्धन भी करेंगी।
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कहानी-क्रम
१. रोटी का टुकड़ा — Pgs. ११
२. चालाक चोर — Pgs. १४
३. सुकोमल पुत्री — Pgs. २०
४. सुकेशिनी — Pgs. २३
५. असली पेंटिंग — Pgs. २७
६. देवसुंदरी — Pgs. ३१
७. मेहनत का बँटवारा — Pgs. ३५
८. पैसे की कीमत — Pgs. ४०
९. गूँगी राजकुमारी — Pgs. ४३
१०. लालच — Pgs. ४७
११. जादुई खड़ाऊँ — Pgs. ५०
१२. मुरगे का पंख — Pgs. ५३
१३. जादुई शीशा — Pgs. ५६
१४. समुद्र का पानी खारा हो गया — Pgs. ५९
१५. असाधारण वृक्ष — Pgs. ६३
१६. कीमती कुत्ता — Pgs. ६८
१७. यह सच है, पर... ७२
१८. झूठ की किताब — Pgs. ७५
१९. सोने की बारिश — Pgs. ७७
२०. सोयाबीन की कहानी — Pgs. ८०
२१. परोपकार — Pgs. ८३
२२. जयराज की चतुराई — Pgs. ८५
२३. गूँगा-बहरा मल्लाह और ज्ञानी विद्याधर — Pgs. ८९
२४. सौतेली माँ का प्यार — Pgs. ९१
२५. चाँद का खिलौना — Pgs. ९४
२६. राजा के कान गधे के हैं — Pgs. ९७
२७. केले के पेड़ में राजकुमारी — Pgs. ९९
२८. चावल के तीन दाने — Pgs. १०२
२९. खुशी की कीमत नहीं होती — Pgs. १०५
३०. नंदू का साहस — Pgs. १०८
३१. लोमड़ी की दयालुता — Pgs. १११
३२. साहसी उर्मिला — Pgs. ११३
३३. असली कसीदाकारी — Pgs. ११६
३४. बेला की चतुराई — Pgs. १२०
३५. विद्वान् मूर्ख (व्यावहारिक ज्ञान से हीन पंडित) — Pgs. १२३
३६. रोहिणी की शर्त — Pgs. १२५
३७. भाग्य की देवी — Pgs. १२७
३८. रेशम की कहानी — Pgs. १३१
३९. एकता में बल — Pgs. १३५
४०. बूढ़ों के लिए अलग गाँव — Pgs. १३८
४१. चंद्रसेन की जिद — Pgs. १४०
सुधा मूर्ति का जन्म सन् 1950 में उत्तरी कर्नाटक के शिग्गाँव में हुआ था। इन्होंने कंप्यूटर साइंस में एम.टेक. किया और अब इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्षा हैं। अंग्रेजी और कन्नड़ की एक बहुसर्जक लेखिका। इन्होंने उपन्यास, तकनीकी पुस्तकें, यात्रा-वृत्तांत, कहानी-संग्रह, कथेतर रचनाएँ तथा बच्चों के लिए अनेक पुस्तकें लिखी हैं।
इनकी अनेक पुस्तकों का भारत की सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हो चुका है और पूरे देश में उनकी 4 लाख से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं। इन्हें सन् 2006 में साहित्य के लिए ‘आर.के. नारायण पुरस्कार’ और ‘पद्मश्री’ तथा 2011 में कन्नड़ साहित्य में उत्कृष्टता के लिए कर्नाटक सरकार द्वारा ‘अट्टिमब्बे पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है।