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Nand Kishore Yadav : Vikas Ke Pratiman (Speaker, Legislative Assembly Bihar) नंद किशोर यादव विकास के प्रतिमान | Book in Hindi   

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Author Rakesh Praveer
Features
  • ISBN : 9789355216113
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Rakesh Praveer
  • 9789355216113
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2024
  • 312
  • Soft Cover
  • 300 Grams

Description

"बिहार सरकार के पूर्व पथ निर्माण, स्वास्थ्य व पर्यटन विभाग के मंत्री श्री नंद किशोर यादव के मिलनसार व्यक्तित्व और विनोदी स्वभाव की जनता कायल है। वे पार्टी के सामान्य कार्यकर्ता से लेकर क्षेत्र के किसी भी मतदाता के सुख-दुःख में उसके साथ खड़े होने वाले नेता हैं। नंद किशोरजी सरकार में चाहे जिस भी विभाग के मंत्री रहे, विकसित बिहार के सपने को साकार करने में जी-जान से जुटे रहे ।

बैसे वे स्वास्थ्य व पर्यटन के अलावा लंबे समय तक पथ निर्माण विभाग के मंत्री रहे। उस दौरान उनका संकल्प बिहार में सड़कों व पुलों का जाल बिछाकर यहाँ की आधारभूत संरचना (ईंफ्रास्ट्रक्चर) को मजबूत करना रहा। 

गंगा पर महात्मा गांधी सेतु के समानांतर और पटना के कच्ची दरगाह से बिदुपुर (वैशाली) तक पुल, जो आज निर्माणाधीन है, नंद किशोर यादव की ही देन है। श्री नंद किशोर यादव ने स्वास्थ्य मंत्री के रूप में पीड़ित जनता के लिए सरकारी अस्पतालों को अधिक साधन-संपन्‍न और सक्रिय बनाया। उन्होंने पहले खुद अस्पतालों की सेहत ठीक करने की नीति अपनाई।  मंत्री के तौर पर विकास के शिखर गढ़ते नंद किशोर यादव की अनेक ऐसी उपलब्धियाँ हैं, जिन्हें वर्षों तक याद रखा जाएगा।

बिहार के विकास की गाथा यहाँ की चिकनी, चौड़ी, चमकदार सड़कों व अनेक मेगा ब्रिज तथा पुल-पुलियों की चर्चा के बिना कभी पूरी नहीं होगी और इन सबका श्रेय नंद किशोर यादव के खाते में ही जाता है। विकास के प्रतिमान नंद किशोर यादव सदैव अपने कृतित्वों के जरिए अविस्मरणीय रहेंगे।"

The Author

Rakesh Praveer

राकेश प्रवीर जन्म : 16 अप्रैल, 1966 को बिहार के पूर्वी चंपारण के एक गाँव भोपतपुर बझिया में।
शिक्षाः स्नातकोत्तर (अर्थशास्त्र)।
आजीविका : विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। 15 वर्षों से पटना विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में मीडिया अध्यापन। प्रिंट मीडिया में ढाई दशकों के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी दो वर्षों का कार्यानुभव।
रचना-संसार : 'थारु जाति : पहचान के लिए संघर्षरत जनजाति' (2004 में) बिहार हिंदी ग्रंथ अकादमी, पटना से प्रकाशित। आठ कोस की यात्रा' लघुकथासंग्रह में पच्चीस लघुकथाएँ प्रकाशित। कविता, कहानियों के एक दर्जन से ज्यादा संग्रहों में रचनाएँ शामिल। डेढ़ हजार से अधिक आलेख, समीक्षात्मक निबंध, कविता, कहानी एवं लघुकथाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। बिहार एवं झारखंड के जनजातीय समाज पर विशेष कार्य। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन केंद्र पटना से वार्ता, आलेख, कहानी एवं कविताओं आदि का नियमित प्रसारण।
सम्मान-पुरस्कार : विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्थाओं की ओर से सृजनात्मक पत्रकारिता, कहानीलेखन एवं काव्य-कर्म के लिए सम्मानपुरस्कार।

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