विज्ञान आज जीवन के किसी भी क्षेत्र से अछूता नहीं रह गया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शैशवास्था के बावजूद नैनो प्रौद्योगिकी एक महत्त्वपूर्ण विषय बनकर उभर रही है।
वस्तुत: नैनो टेक्नोलॉजी पदार्थों के अणुओं एवं परमाणुओं के परिचालन की एक नवीन तथा क्रांतिकारी तकनीक है। मापन के संदर्भ में ‘नैनो’ एक अरबवें हिस्से को निरूपित करता है। अत: एक नौनोमीटर कितना सूक्ष्म होता है, इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि यह आलपिन की घुंडी के दस लाखवें हिस्से के बराबर होता है। नैनो टेक्नोलॉजी से पारमाणविक आकार के अत्यंत सूक्ष्म यंत्रों एवं युक्तियों आदि का विनिर्माण किया जा सकता है।
प्रस्तुत पुस्तक में नैनो प्रौद्योगिकी से संबंधित सभी पहलुओं, विशेषत: इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, कालानुक्रम, नैनो विज्ञान, नैनो कण, इसकी उपयोगिता, नैनो युक्तियाँ, नैनो प्रौद्योगिकी एवं माइक्रो इलेक्ट्रॉनिकी इत्यादि विषयों पर अद्यतन जानकारी अत्यंत बोधगम्य भाषा में प्रसंगानुकूल चित्रों सहित प्रदान की गई है।
आशा है, यह पुस्तक विद्यार्थियों, विषय-विशेषज्ञों, शोधार्थियों, इंजीनियरों, वैज्ञानिकों एवं शिक्षाविदों के साथ-साथ जनड़सामान्य के लिए भी महत्त्वपूर्ण एवं उपयोगी सिद्ध होगी।
जोधपुर में जनमे विज्ञान की उच्चतम शिक्षा प्राप्त, देश-विदेश की दस लब्ध-प्रतिष्ठ विज्ञान-संस्थाओं के चयनित फेलो, रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री, लंदन से चार्टर्ड केमिस्ट की सम्मानोपाधि प्राप्त देश के वरिष्ठ विज्ञान संचारक। विगत 38 वर्षों से हिंदी में विज्ञान-लेखन और विज्ञान लोकप्रियकरण में रत डॉ. दुर्गादत्त ओझा की पुरातन एवं अद्यतन विज्ञान विषयों पर हिंदी में 50 से अधिक कृतियाँ, सहस्राधिक विज्ञान आलेख एवं शताधिक शोध-पत्र प्रकाशित हैं।
भूजल विभाग जोधपुर के अवकाश प्राप्त वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. ओझा को अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों एवं सम्मानोपाधियों से अलंकृत किया गया है, जिनमें प्रमुख हैं—राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान पुरस्कार, राष्ट्रीय विज्ञान-संचार पुरस्कार, राष्ट्रीय ग्रामीण साहित्य पुरस्कार, महामहिम राष्ट्रपति से डॉ. आत्माराम पुरस्कार, मेदिनी पुरस्कार आदि। डॉ. ओझा देश-विदेश की अनेक विज्ञान-संस्थाओं से जुड़े हुए हैं तथा विज्ञान विषयक कई पत्रिकाओं एवं शोध-जर्नलों के संपादक मंडल के सदस्य हैं।