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किसी कहानी को लोकप्रिय तो पाठक ही बनाता है। जो रचना पाठकों द्वारा पढ़ी ही न जाए, वह लोकप्रिय नहीं होती। किंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि जो रचना लेखक को प्रिय न हो, पाठक उसे लोकप्रिय बना देगा। वस्तुतः कहानियाँ लेखक और पाठक दोनों की रुचि से लोकप्रिय बनती हैं।
मैंने 1960-70 के दौर में कहानियाँ लिखी थीं। तब तक वे उपन्यास नहीं लिखे गए थे, जिन्होंने अपनी लोकप्रियता के बल पर कहानियों की चर्चा को मंद कर दिया है। इसके पश्चात् उपन्यासों ने कहानियों को अपना अंग ही बना लिया। लिखने को तो अब भी कहानी लिखने बैठ जाता हूँ, लिख भी लेता हूँ, किंतु मेरे लेखन के केंद्र में कहानी नहीं है।
फिर भी कह सकता हूँ कि ‘परिणति’, ‘नमक का कैदी’, ‘संचित भूख’, ‘किरचे’, ‘निचले फ्लैट में’ और ‘नींद आने तक’ जैसी कहानियाँ न मुझसे भुलाई गई हैं और न पाठकों द्वारा उनकी उपेक्षा की स्थिति आई है। यदा-कदा उनकी चर्चा होती ही रहती है। वह मेरी किशोरावस्था थी। उसमें समाज के प्रति दायित्वबोध भी था और प्रेम का आकर्षण भी। उनमें मेरे भाई-बहन भी हैं और मेरी सखियाँ भी। वह जीवन का वह महत्त्वपूर्ण मोड़ था, जिसे भुलाना संभव नहीं है। परिणामतः आज आधी शताब्दी के पश्चात् भी वे कहानियाँ मुझे प्रिय हैं।
—नरेंद्र कोहली
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अनुक्रम
1. परिणति — 9
2. किरचें — 27
3. दृष्टिदेश में एकाएक — 35
4. शटल — 47
5. नमक का कैदी — 58
6. एक नई शुरुआत — 71
7. निचले फ्लैट में — 80
8. नींद आने तक — 87
9. संचित भूख — 100
10. पहचान — 111
11. रोज सवेरे... 123
12. प्रतीक्षा... 133
13. हुए मर के हम जो रुस्वा — 148
14. वह कहाँ है? — 167
15. अपहरण — 178
‘महासमर’ (9 खंड), ‘तोड़ो, कारा तोड़ो’ (6 खंड), ‘अभ्युदय’ (2 खंड) जैसे महाकाव्यात्मक बृहद् कालजयी उपन्यासों के सर्जक, प्रसिद्ध रचनाकार डॉ. नरेंद्र कोहली ने साहित्य की प्रायः सभी प्रमुख विधाओं में प्रचुर लेखन किया है और पाठकों के बीच अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया है। उनके राष्ट्रवादी सांस्कृतिक चिंतन की छाप स्पष्ट रूप से उनकी रचनाओं में देखने को मिलती है; और यही उन्हें एक अप्रतिम साहित्यकार के रूप में स्थापित करती है। पंद्रह उपन्यास, समग्र कहानियाँ (दो भाग), व्यंग्य-गाथा (दो भाग), पंद्रह व्यंग्य-संग्रह तथा नाटक, आलोचना और विचारों के अनेक संग्रह प्रकाशित होकर बहुचर्चित-बहुप्रशंसित हुए। पाठकों का स्नेह उनका सबसे बड़ा सम्मान है। यद्यपि उन्हें ‘व्यास सम्मान’, ‘शलाका सम्मान’,‘सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार’, ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय सम्मान’, ‘अट्टहास सम्मान’ से अलंकृत किया जा चुका है।