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नासिरा शर्मा समकालीन हिंदी कहानी की विशिष्ट लेखिका हैं। वे निर्विवाद रूप से सामाजिक प्रतिबद्धता से संपन्न एक निष्ठावान कथाकार हैं। वर्तमान हिंदी कथा-साहित्य के विकास में नासिरा शर्मा का विशेष योगदान है। उन्होंने अपनी कहानियों के विषय देश-विदेश की जनता के उस जीवन-संघर्ष में तलाश किए हैं, जिसमें इनसानी रिश्तों और मानवता के लिए छटपटाहट दिखाई देती है। जहाँ उनके समकालीन कथाकारों के विषय सीमित हैं, वहीं इनके लेखन में एक ताज़गी बरकरार है।
प्रस्तुत कहानी-संग्रह में उनकी बारह कहानियों का चयन किया गया है। ये कहानियाँ अपने कथ्य, शिल्प, विश्लेषण और कलात्मक क्षमता की दृष्टि से उल्लेखनीय हैं। ये कहानियाँ न केवल हिंदी कहानी को, बल्कि भारतीय भाषाओं की कहानियों को नई संवेदना और नए मुहावरे प्रदान करती हैं। इन कहानियों का संसार बहुत विस्तृत है, दूसरा महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि इन कहानियों को पढ़ना प्रेम के पथ से गुज़रना है। कृत्रिम और गढ़ी हुई ज़िंदगी से निकलकर रोमांटिक अनुभूतियों, प्रणयानुभूति और सौंदर्य, आशा-निराशा सभी के आधार इन कहानियों में खोजने का प्रयास पूरी ईमानदारी से किया गया है। लेखिका अपनी चेतना एवं फ़िक्र की गहराइयों में डूबकर मानवीय वजूद को उस मूल के रूप में तलाश करती है। उनकी कहानियों में इन्हीं तत्त्वों को खोजने का सार्थक प्रयास है।
जन्म : 1948, इलाहाबाद में।
शिक्षा : फारसी भाषा और साहित्य में एम.ए.।
रचना-संसार : ‘ठीकरे की मँगनी’, ‘पारिजात’, ‘शाल्मली’, ‘ज़िंदा मुहावरे’, ‘कुइयाँजान’, ‘ज़ीरो रोड’, ‘सात नदियाँ एक समुंदर’, ‘अजनबी जजीरा’, ‘अक्षयवट’ और ‘का़गज़ की नाव’ (उपन्यास); ‘कहानी समग्र’ (तीन खंड), ‘दस प्रतिनिधि कहानियाँ’, ‘शामी का़गज़’, ‘पत्थर गली’, ‘संगसार’, ‘इब्ने मरियम’, ‘सबीना के चालीस चोर’, ‘़खुदा की वापसी’, ‘बुत़खाना’, ‘दूसरा ताजमहल’, ‘इनसानी नस्ल’ (कहानी-संग्रह); ‘अ़फगानिस्तान : बुजकशी का मैदान’ (संपूर्ण अध्ययन दो खंड), ‘मरजीना का देश इराक’, ‘राष्ट्र और मुसलमान’, ‘औरत के लिए औरत’, ‘वो एक कुमारबाज़ थी’ (लेख-संग्रह); ‘औरत की आवाज़’ (साक्षात्कार); ‘जहाँ फौवारे लहू रोते हैं’ (रिपोर्ताज); ‘यादों के गलियारे’ (संस्मरण); ‘शाहनामा फ़िरदौसी’, ‘गुलिस्तान-ए-सादी’, ‘किस्सा जाम का’, ‘काली छोटी मछली’, ‘पोयम ऑफ परोटेस्ट’, ‘बर्निंग पायर’, ‘अदब में बाईं पसली’ (अनुवाद); ‘किताब के बहाने’ और ‘सबसे पुराना दरख़्त’ (आलोचना); बाल-साहित्य में ‘दिल्लू दीनक’ और ‘भूतों का मैकडोनाल्ड’ (उपन्यास); ‘संसार अपने-अपने’, ‘दादाजी की लाठी’ (कहानी); ‘प्लेट़फार्म नं. ग्यारह’, ‘दहलीज़’ तथा ‘मुझे अपना लो’ (रेडियो सीरियल); ‘नौ नगों का हार’ (टी.वी. सीरियल)।