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"उन्नीसवीं सदी के बंगाल में वेश्या-अभिनेत्री विनोदिनी दासी ने न केवल समाज की तय की हुई रूढिय़ों को तोड़ा, बल्कि अपने खुद के अँधियारे अतीत की छाया से बाहर आने का भी सफल प्रयास किया। एक दिन स्वामी रामकृष्ण परमहंस से हुई भेंट के बाद नटी विनोदिनी का स्वयं से साक्षात्कार हुआ और वह अध्यात्म की राह पर चल पड़ी। समय बदला, मगर समाज की बनाई रूढिय़ाँ स्त्रियों के लिए आज भी कमोबेश कायम हैं।
ऐसे में इस कहानी की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एन.एस.डी.) से स्नातक प्रख्यात अभिनेत्री सुष्मिता मुखर्जी ने विनोदिनी दासी की कहानी को आधुनिक समय में वर्तमान संदर्भों के साथ नाटक ‘नटी’ की नायिका मणि मेखला के जरिए कहने का प्रयास किया है। उन्होंने इस नाटक को न सिर्फ लिखा बल्कि अपने थिएटर ग्रुप ‘नाटक कंपनी’ के अंतर्गत इसका सफल मंचन भी किया। पाठक इस नाटक की कथा में सिनेमाई छवियों का भी अनुभव कर सकेंगे।"