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पूर्व कम्युनिकेशन व ब्रैंड कंसल्टेंट मोहुआ चिनप्पा की मुलाकात विभिन्न पृष्ठभूमि की अनगिनत महिलाओं से हुई है, जिसमें चाय की दुकान चलाने वाली खासी आदिवासी, उत्तर-पूर्व की पत्रकार जो बड़े शहर में फिट होने की कोशिश में है, से लेकर कॉलेज में पढ़ने वाली एक मासूम लड़की, जो एक आदमी को बुरी तरह से फटकारने के परिणाम का अंदाजा नहीं लगा पाई, तक सभी शामिल रही।
इस पुस्तक में शामिल अधिकतर कहानियाँ, दो दशक अर्थात्, सन् 1980 के शुरुआती दौर से लेकर सन् 2000 की अवधि तक, वे जिन महिलाओं से मिली, उनकी कहानियों पर आधारित हैं। हालाँकि इन दशकों में लोगों का जीवन सांस्कृतिक- आर्थिक बदलाव का साक्षी बना था। साथ ही इस दौरान उन नारीवादियों की विचारधारा को भी मजबूत करने की कोशिश की गई, जो सहज तौर पर विश्वासी होने में संकोच कर रहे थे।