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नीली दिल्ली प्यासी दिल्ली—आदित्य अवस्थीदिल्ली के राजधानी बनने के एक सौ साल पूरे होने के सुअवसर पर हम इस बात की समीक्षा करें कि पिछले दस दशकों में इस शहर ने क्या खोया और क्या पाया? इन एक सौ वर्षों में इस शहर ने वाल सिटी से वर्ल्ड सिटी की यात्रा की है। इस समय राष्ट्रीय राजधानी में सबसे बड़ी समस्या पेयजल की कमी और उसकी आपूर्ति सूनिश्चित करना है। आने वाले समय में पानी दिल्ली और दिल्लीवालों के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगा।
राजधानी में पानी के अपने पर्याप्त स्रोत हैं। यदि उनका संरक्षण और सदुपयोग किया जाए तो पानी की समस्या का एक हद तक समाधान संभव है।
दिल्ली में आज भी सैकड़ों कुएँ, बावड़ी, बाँध, तालाब, जौहड़, झीलें और अन्य ऐसे जलस्रोत हैं, जो पानी के संरक्षण में मददगार बन सकते हैं। जीवनदायक जल के ये अनोखे स्रोत कहाँ और किस हाल में हैं, इसका रोचक विवरण इस पुस्तक में है। 2011-2020 के दशक को ‘जल बचाओ अभियान दशक’ के रूप में मनाया जा रहा है। परंतु इसके लिए केवल आलीशान भवनों में कार्यक्रमों का आयोजन, चर्चा और विचार गोष्ठी करना पर्याप्त नहीं हैं; इसके लिए वास्तविकता के धरातल पर कुछ ठोस किए जाने की आवश्यकता है। यदि बरसाती पानी को संरक्षित करने के लिए आज और अभी से काम शुरू नहीं किया तो कल पानी के लिए विकट स्थिति पैदा होगी।
13 सितंबर, 1954 को भागलपुर (बिहार) में जन्म। कानपुर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए. किया। मार्च 1977 में राष्ट्रीय संवाद समिति समाचार के माध्यम से पत्रकारिता से जुड़े। दिल्ली के पर्यावरण पर उनकी पहली पुस्तक ‘काली धूप’ प्रकाशित। आकाशवाणी और दूरदर्शन के लिए जन-जागृति और जनरुचि से संदर्भित पटकथाओं और वृत्तकथाओं का लेखन। प्रौढ़ शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए ‘कानून और हम’, ‘वोट का अधिकार’, ‘मास्टर प्लान और दिल्ली के गरीब’ जैसी पुस्तिकाएँ खासी उपयोगी रहीं। ‘दिल्ली क्रांति के 150 वर्ष’, ‘भारत की परमाणु यात्रा’, ‘कहानी दिल्ली मेट्रो की’ इनकी महत्वपूर्ण कृतियाँ हैं। ‘दास्तान-ए-दिल्ली’ तथा ‘लाल-किले की प्राचीर से’ दो खंडों में संपादित पुस्तक है; इसमें श्री अवस्थी ने यह बताने का प्रयास किया कि आजादी के साठ वर्षों में हमने क्या खोया और क्या पाया।
1997 में सिनेमा पर सर्वश्रेष्ठ लेखन के लिए राष्ट्रपति के.आर. नारायणन द्वारा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार ‘स्वर्ण कमल’ से सम्मानित। ‘सर्वश्रेष्ठ पत्रकार पुरस्कार’ मिला। संप्रति महाराजा अग्रसेन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, रोहिणी के सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के कार्यकारी निदेशक हैं।