₹250
पुस्तक सार
आपमें सीखने की ललक है, तो हर छोटे-से-छोटा वाकया जिंदगी के बड़े सबक दे सकता है, जिन्हें शायद आप कभी किताबों में नहीं पा सकेंगे।
******
सब्र महज समझदारी का ही सबूत नहीं है, बल्कि इससे आप खुद का और समाज का भला कर सकते हैं।
******
जरूरतमंद की मदद के लिए किया गया कोई काम कितना ही छोटा क्यों न हो, निश्चित रूप से वह आपके दर्द को कम करने या कम-से-कम उसका कुछ हिस्सा दूर करने में मददगार होता है।
******
अगर लोगों की जान बचाने के काम में ऐसे लोगों को लगाया जाए, जिन्होंने कभी खुद जीवन या मौत का अनुभव किया हो, तो उनके जीवन बचाने की दर उन लोगों की अपेक्षा ज्यादा होगी, जो इस काम के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किए गए हैं।
******
अगर आप बड़ा बनना चाहते हैं तो दिल बड़ा करना होगा और मितव्ययी बनना होगा।
—इसी पुस्तक से
प्रसिद्ध लाइफ कोच और मैनेजमेंट गुरु एन. रघुरामन के ये विचार व्यक्ति की सोच में आमूलचूल परिवर्तन करने की अद्भुत क्षमता रखते हैं। मानवीय गुणों को सही मायने में अपने भीतर उतारकर ही हम जीवन में श्रेष्ठता, और उस श्रेष्ठता से सफलता प्राप्त कर सकते हैं। ये व्यावहारिक सूत्र आपके व्यक्तित्व को निखारकर उत्कर्ष और प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
____________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________
अनुक्रम
इस पुस्तक की पृष्ठभूमि —Pgs. 7
1. सड़क पर गुस्सा समाज के व्यवहार का आईना है —Pgs. 13
2. जिंदगी कम मौके देती है ऊँचाइयों तक ले जाने के, इसलिए फायदा उठा लें —Pgs. 15
3. लीक से हटकर सोचना ही दूसरों से अलग करता है —Pgs. 17
4. कभी-कभी ‘आम लोग’ भी ‘बड़ी’ सीख दे जाते हैं —Pgs. 19
5. अच्छे काम का नेटवर्क बुरे वक्त में काम आता है —Pgs. 21
6. किसी के हुलिए या सामाजिक स्तर से ईमानदारी तय नहीं होती —Pgs. 23
7. गरमियों की कुछ छुट्टियाँ तय कर सकती हैं भविष्य —Pgs. 25
8. तनावमुक्ति के साथ धैर्य की सीख देते हैं खेल —Pgs. 27
9. दिलो-दिमाग के घाव ठीक करना भी है जरूरी —Pgs. 29
10. अनुकूलता हमारी ताकत, इसका खूब इस्तेमाल करें —Pgs. 31
11. गुस्से और दुष्टता से किसी का भला नहीं होता —Pgs. 33
12. दिल बड़ा हो तो पूँजी मायने नहीं रखती —Pgs. 36
13. खुद और समाज के लिए बेहद फायदेमंद है सब्र —Pgs. 38
14. सबसे सुखद अहसास है अपनी प्रशंसा सुनना —Pgs. 40
15. खर्च करने के लिए जियो या किसी की जिंदगी पर खर्च करो —Pgs. 42
16. योग्य व्यक्ति हर स्थिति में काम करके दिखाता है —Pgs. 45
17. प्रेम में ही है किसी लत को मिटाने की शक्ति —Pgs. 47
18. ‘खयाल रखना’ में है प्रभावशाली अर्थ —Pgs. 50
19. परीक्षा सिर्फ दिमाग की नहीं, चरित्र की भी —Pgs. 52
20. बच्चे की निगाह से देखें तो दुनिया बेहतर हो जाए —Pgs. 54
21. हमारा जीवन टू मिनट नूडल्स नहीं है —Pgs. 56
22. दादा-दादी, नाना-नानी से बेहतर स्कूल नहीं —Pgs. 58
23. देने का सुख, आपका दुःख कम कर देता है —Pgs. 60
24. काम के स्वस्थ माहौल का आधार है भरोसा —Pgs. 62
25. अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जीएँ —Pgs. 64
26. आपकी छवि व विचार व्यक्त करता है तोहफा —Pgs. 66
27. मुसीबत के वक्त गरीब ही अमीरी दिखाते हैं —Pgs. 68
28. साल के हर दिन होता है फादर्स डे —Pgs. 70
29. आरोप लगाने से सफाई माँगना बेहतर —Pgs. 72
30. करुणा से दिखाई देता है हमारी जिंदगी का रहस्य —Pgs. 74
31. बड़ों जैसी जिम्मेदारी वाले छोटुओं का सम्मान करें —Pgs. 76
32. निगाहों के परे देखें तो और भी सुंदर है दुनिया —Pgs. 78
33. साथ में पूरे हो सकते हैं जरूरत और शौक —Pgs. 80
34. बच्चों को जीना सिखाएँ, जीने के सहारे न बताएँ —Pgs. 82
35. जहर उगलने के लिए नहीं है नेटवर्किंग साइट —Pgs. 84
36. गरीबी को करीब से देखने पर जागता है सफल होने का जज्बा —Pgs. 86
37. जिंदगी में सुकून चाहिए तो अपने दिल की सुनें —Pgs. 89
38. स्मार्ट लोगों से ही बनता है कोई भी शहर स्मार्ट —Pgs. 91
39. हमेशा बड़े फायदे के साथ लौटती है अच्छाई —Pgs. 93
40. इंसानियत हमने गँवाई नहीं है, बस भूल गए हैं —Pgs. 95
41. खुद में नया व्यक्तित्व देखना है तो यह करें —Pgs. 97
42. दुनिया में फर्क लाने के लिए सिर्फ बड़ा दिल चाहिए —Pgs. 99
43. आपदा का अनुभव देता है बचाने की भावना —Pgs. 101
44. अच्छे बोल देश को बुजुर्गों के लिए श्रेष्ठ बना सकते हैं —Pgs. 103
45. बदले की भावना शांत करने का हुनर आपको अलग बनाता है —Pgs. 105
46. प्रेमपूर्ण और करुणामय बनना हिम्मत का काम है —Pgs. 107
47. आसपास बिखरे जीवन का अहसास सहेजें —Pgs. 109
48. सदियों की परंपराओं को दें अनूठा, आधुनिक रूप —Pgs. 111
49. किसी को दूसरा जीवन देना सबसे बड़ा उपहार —Pgs. 113
50. शुरुआती सफलता या गरीबी को हावी न होने दें —Pgs. 115
51. किसी एक क्षेत्र में सौ फीसदी विशेषज्ञ होना क्यों जरूरी है? —Pgs. 117
52. आपके जीवन को मजबूती देता है सशक्त उद्देश्य —Pgs. 120
53. बेबाक व निर्भीक रवैए और ईमानदारी के अपने फायदे हैं —Pgs. 122
54. मानवीयता आपको सफल बनाती है —Pgs. 124
55. क्यों अब अच्छा व्यवहार और महत्त्वपूर्ण हो गया है? —Pgs. 126
56. अच्छे व्यवहार से पर्यावरण संरक्षण तक सबकुछ आप से ही शुरू होता है —Pgs. 128
57. माफ कीजिए और देखिए, दुनिया कितनी सुंदर बन जाती है! —Pgs. 130
58. ‘लिबर्टी’ और ‘फ्रीडम’ दो एकदम अलग बातें हैं —Pgs. 132
59. टाइम को ‘पास’ करो तो जीवन में फेल नहीं होंगे —Pgs. 134
60. काम की स्मार्ट और सेफ शैली से तैयार होते हैं संतुष्ट ग्राहक —Pgs. 136
61. प्रभावशाली लोगों से निकटता गलत करने का अधिकार नहीं देती —Pgs. 138
62. जीवन की गुणवत्ता सुधारना चाहते हैं तो रोज के अच्छे कामों की सराहना कीजिए —Pgs. 141
63. प्रसन्न मन ही व्यक्तित्व के गुण बदल सकता है —Pgs. 143
64. हमें बच्चों के लिए ‘पुण्य’ पासबुक बनाना चाहिए —Pgs. 145
65. लोग हों या प्रोडक्ट, उनका असर तो दिखाई देना ही चाहिए —Pgs. 147
66. यदि आप लोगों को क्षमा करें तो आपको बहुत फायदा होता है —Pgs. 150
67. उन नायकों को बढ़ावा दें जो जिंदगियाँ बचाते हैं —Pgs. 153
68. अच्छे कर्म आपको बना देते हैं ‘गॉड ऑफ स्माॅल थिंग्स’ —Pgs. 155
69. लोगों को जीवन में दूसरा मौका देने के लिए उन्हें किसी चीज से सशक्त बनाएँ —Pgs. 157
70. कुछ निर्जीव चीजों में भी जीवन होता है! —Pgs. 160
71. आसपास घट रही सिर्फ घटनाएँ नहीं, जीवन के सबक हैं —Pgs. 162
72. आपकी सितारा हैसियत का एक कारण साहस होता है —Pgs. 165
73. जब कोई सफेद शर्ट पहनता है तो लोगों को दाग क्यों दिखते हैं? —Pgs. 167
74. खुशी एक गंभीर मामला है —Pgs. 169
75. बच्चों की खातिर बाहर खाने की आदतें मैनेज कीजिए! —Pgs. 171
76. क्यों व्यर्थ दिखावा खतरनाक होता है? —Pgs. 173
77. कभी-कभी दूसरों पर निर्भर न रहकर खुद स्थिति से निपटना चाहिए —Pgs. 175
एन. रघुरामन
मुंबई विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट और आई.आई.टी. (सोम) मुंबई के पूर्व छात्र श्री एन. रघुरामन मँजे हुए पत्रकार हैं। 30 वर्ष से अधिक के अपने पत्रकारिता के कॅरियर में वे ‘इंडियन एक्सप्रेस’, ‘डीएनए’ और ‘दैनिक भास्कर’ जैसे राष्ट्रीय दैनिकों में संपादक के रूप में काम कर चुके हैं। उनकी निपुण लेखनी से शायद ही कोई विषय बचा होगा, अपराध से लेकर राजनीति और व्यापार-विकास से लेकर सफल उद्यमिता तक सभी विषयों पर उन्होंने सफलतापूर्वक लिखा है। ‘दैनिक भास्कर’ के सभी संस्करणों में प्रकाशित होनेवाला उनका दैनिक स्तंभ ‘मैनेजमेंट फंडा’ देश भर में लोकप्रिय है और तीनों भाषाओं—मराठी, गुजराती व हिंदी—में प्रतिदिन करीब तीन करोड़ पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है। इस स्तंभ की सफलता का कारण इसमें असाधारण कार्य करनेवाले साधारण लोगों की कहानियों का हवाला देते हुए जीवन की सादगी का चित्रण किया जाता है।
श्री रघुरामन ओजस्वी, प्रेरक और प्रभावी वक्ता भी हैं; बहुत सी परिचर्चाओं और परिसंवादों के कुशल संचालक हैं। मानसिक शक्ति का पूरा इस्तेमाल करने तथा व्यक्ति को अपनी क्षमता के अधिकतम इस्तेमाल करने के उनके स्फूर्तिदायक तरीके की बहुत सराहना होती है।
इ-मेल : nraghuraman13@gmail.com