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लगभग हर कोई धनी बनना चाहता है, लेकिन सभी धनी नहीं बन पाते, क्योंकि अधिकांश व्यक्ति धनी बनने की केवल आकांक्षा ही रखते हैं। वे लोग कभी भी गंभीरता से यह विचार करने का प्रयास ही नहीं करते हैं कि कोई व्यक्ति धनी है, तो वह धनी क्यों है? बहुत कम लोग ही सचमुच में इस प्रश्न का उत्तर ढूँढ़ने की कोशिश करते हैं। इसका प्रमाण यह है कि बहुत कम लोग ही सचमुच में धनी बन पाते हैं, क्योंकि जिन लोगों को धनी बनने का कारण पता चल जाता है, उनमें से भी बहुत कम लोग ही धनी बनने के रास्ते पर कदम बढ़ा पाने का साहस जुटा पाते हैं और ऐसे साहसी लोगों में भी बहुत कम होते हैं, जो इस जोखिम भरे रास्ते पर लगातार चलते रह पाते हैं और अंततः धनी बन पाते हैं। इस साहसी वर्ग के लोगों में अधिकांश ऐसे होते हैं, जो पहले या दूसरे झटके के बाद ही घुटने टेक देते हैं और अपने औसत व्यक्ति के पुराने सुविधाजनक रास्ते पर वापस लौट आते हैं।
अधिकांश लोग अपनी नौकरियों से दुःखी मिलेंगे, लेकिन उनमें संभवतः कोई भी आपको स्वामी बनने की सलाह नहीं देगा, क्योंकि नौकरी करनेवाली बहुसंख्यक जनसंख्या बहुत अच्छी तरह से जानती है कि स्वामी बनना मुश्किल व जोखिम भरा है, जबकि स्वामियों की नौकरी करना सबसे आसान और सबसे अधिक सुरक्षित।
नेटवर्क मार्केटिंग की बारीकियों को अत्यंत सरल-सुबोध भाषा में प्रस्तुत कर इस क्षेत्र में सफलता पाने की एक व्यावहारिक हैंडबुक।
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अनुक्रम
भूमिका —Pgs.7
1. धनी, क्यों होते हैं धनी? —Pgs.13
2. धनी बनने के अनेक रास्ते —Pgs.56
3. लोकतांत्रिक व्यवसाय शिक्षा —Pgs.96
4. मित्रों का पूरा नया संसार —Pgs.126
5. सपनों को जीना सीखें —Pgs.149
वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप ठाकुर को भारत के प्रमुख मीडिया समूहों (दिल्ली प्रेस, अमर उजाला व दैनिक जागरण) में विभिन्न संपादकीय पदों पर काम करने और विविध विषयों पर लिखने व विश्लेषण प्रस्तुत करने का दो दशक से भी अधिक समय का अनुभव प्राप्त है। उनकी अंग्रेजी में प्रकाशित कृतियाँ हैं : ‘टाटा नैनो : द पीपल्स कार’, ‘कैरीइंग धीरूभाई’, ‘विजन फॉरवर्ड : मुकेश अंबानी’, ‘द शाइनिंग स्टार ऑफ अमेरिका एंड द वर्ल्ड : बराक ओबामा’, ‘द किंग ऑफ स्टील : लक्ष्मी एन. मित्तल’, ‘अन्ना हजारे : द फेस ऑफ इंडिया अगेंस्ट करप्शन’, ‘एंजेलीना
जोली : इज शी द मोस्ट पॉवरफुल सेलिब्रिटी’ और ‘टाइगर इन द वुड्स : द स्टोरी ऑफ नं. 1 स्पोर्ट्स-ब्रांड टाइगर वुड्स’।