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इस कृति का अपना एक वैशिष्ट्य है। इसमें दिए गए निबंधों के परिशीलन करने के उपरांत यह सत्य उद्घाटित होता है- निबध में लेखक और पाठक का परो क्षत्व समाप्त हो जाता है; दोनों आमने-सामने खड़े होकर कहते-सुनते हैं।
इस निबंध संग्रह में जीवन के समस्त क्षेत्रों की वास्तविकता, विषय की जिज्ञासा और संवेदना, विचारों की उत्कृष्टता, भावों की उष्ण तरंग, कल्पना की उड़ान, शैली की बहुविधता और विदग्ध चमत्कृति-सभी कुछ एक साथ प्राप्त होतीहैं । निबंधकार का प्राणवान् व्यक्तित्व अपनी चिंतनशीलता, भाव-प्रवणता तथा प्रामाणिक आप्तता के साथ अवतरित होकर लेखक में सम-संवेदना को जाग्रत् कर सहलाता, उद्दीप्त करता तथा रसतृप्त करता है।
स्नातक एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थियों के लिए यह कृति उपयोगी तो है ही, विशेषत : 'संघ लोक सेवा आयो', विाइ भन्न राज्यों के लोक सेवा आयोगों, 'कर्मचारी चयन आयोग' तथा संबद्ध अन्यान्य संगठनों द्वारा आयोजित अनिवार्य प्रश्नपत्र ' निबंध' के लिए यह अपरिहार्य है।
प्रमुख कैरियर विशेषज्ञ, मीडियाधर्मी और समीक्षक डॉ. पांडेय ने अपनी इस कृति में समसामयिक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय, राजनीतिक, आाइ र्थक, सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, वैज्ञानिक-प्रौद्योगिक, सावि धानिक इत्यादि विषयक निबंधों पर अपने विश्लेषणात्मक दृष्टिबोध का परिचय दिया है। इसमें अधिकतर वे निबंध हैं, जो प्राय : परीक्षाओं में पूछे जाते हैं किंतु अन्यत्र दुर्लभ हैं। अधिकतर निबंध विस्तार में दिए गए हैं, जिनमें 'सामान्य ज्ञान' और 'सामान्य अध्ययन' की दृष्टि से तथ्य और अंकिड़ों की प्रचुरता है।
जन्म : मिरीगिरी टोला, बाँसडीह, बलिया (उ.प्र.)।
शिक्षा : स्नातकोत्तर (हिंदी-अंग्रेजी, प्राचीन इतिहास) एवं पी-एच.डी.।
कृतित्व : साहित्य की समस्त विधाओं—विश्व ज्ञान कोश, कोश, व्याकरण, निबंध, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, समसामयिक, प्रतियोगितात्मक, मीडिया, बाल-प्रौढ़-नवसाक्षर साहित्य पर अब तक 850 से भी अधिक पुस्तकें प्रकाशित।
पुरस्कार-सम्मान : तीस राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार-सम्मानों से समादृत।
संप्रति : निदेशक—पत्रकारिता एवं जनसंचार संस्थान, इलाहाबाद।
संपर्क : 110/2, नई बस्ती, अलोपी बाग, इलाहाबाद-211006