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Nirjharani   

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Author Usha Shrivastav
Features
  • ISBN : 9789384343262
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Usha Shrivastav
  • 9789384343262
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2015
  • 168
  • Hard Cover

Description

चंद्रमा का प्रकाश उसका अपना नहीं, यह तो सूरज का प्रतिबिंब है। लेखिका का मानना है कि इसी तरह उसके व्यक्तित्व में जो चमक है, वह तो उसके आराध्य या मनमीत के व्यक्तित्व का ही प्रतिबिंब है। कवयित्री पॉश कॉलोनी में रहती है, फिर भी उसने एअरकंडीशंड रूम में बैठकर कविताएँ नहीं लिखी हैं। उसने प्रकृति के विविध वर्णी रूपों के बीच अपने को स्थापित किया है। प्रत्येक संग्रह की कविताओं में पीले पत्ते, मलय पवन, कोंपल, कोयल, भ्रमर, सूर्यकिरण, ओस-बिंदु, इंद्रधनुष, तितली-पंख, मेहँदी, मृगछौना, धूप, बादल, लैंप-पोस्ट, उजड़ा उपवन आदि को प्रतीकों के रूप में स्वीकार किया है।
कविताओं में नए प्रतीक, नए बिंब और नए मुहावरों का प्रयोग किया है। उसकी कविताओं में गहरी अनुभूति की सफल अभिव्यक्ति हुई है। जो कुछ कहा गया है, उसका एक-एक शब्द सार्थक और सच्चा है, फिजूल का शब्द एक भी नहीं है। कवयित्री ने कविताएँ लिखी नहीं हैं, कविताओं ने अपने को उससे लिखवा लिया है।
काव्य-रस से सराबोर ये कविताएँ सभी आयु वर्ग के पाठकों को रुचिकर लगेंगी।

The Author

Usha Shrivastav

जन्म : 15 दिसंबर, 1946
शिक्षा : एम.ए. (अंग्रेजी), बी.एड.
प्रकाशन : यत्र-तत्र पत्र-पत्रिकाओं में कुछ स्फुट रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। सहयोगी संकलन ‘कविता परिदृश्य’ प्रकाशित हुआ है।
अपनी बात : जो बात किसी से नहीं कही जा सकी और मन के अंदर भी नहीं रखी जा सकी, वही समय-समय पर इन पंक्‍तियों में फूटी है। उसे कविता का रूप मिला इसका श्रेय मेरे श्रद्धेय गुरुजनों को है, जिनकी निरंतर प्रेरणा व आशीर्वाद के बिना काव्य-सरिता का जीवन-मरू में खो जाना सहज अनिवार्य था।
संपर्क : एन-33, पंचशिला पार्क, नई दिल्ली-110017

फोन :011-26495067, 09811112452

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