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संग्रह की सभी 72 लघुकथाएँ समाज की विभिन्न स्थितियों के विस्तृत आयाम को "टच" करती हैं। सभी लघुकथाएँ अपनी कथानक, शिल्प और मर्म से सामाजिक कुरीतियों और विसंगतियों पर प्रहार करती हैं। कुछ प्रतीकात्मक रूप से तो कुछ लघुकथा सीधे-सीधे राह भी दिखाती हैं। उम्मीद है कि यह संग्रह आपको पसंद आएंग।
ममता मेहरोत्रा
शिक्षा : एम.एस-सी. (प्राणी विज्ञान)।
कृतित्व : ‘अपना घर’, ‘सफर’, ‘धुआँ-धुआँ है जिंदगी’ (लघुकथा-संग्रह), ‘महिला अधिकार और मानव अधिकार’, ‘शिक्षा के साथ प्रयोग’, ‘विद्यार्थियों के लिए टाइम मैनेजमेंट’, ‘विश्वासघात तथा अन्य कहानियाँ’, ‘जयप्रकाश तुम लौट आओ’ तथा अंग्रेजी में ‘We Women’, ‘Gender Inequality in India’, ‘Crimes Against Women in India’, ‘Relationship & Other Stories’ & ‘School Time Jokes’ पुस्तकें प्रकाशित। RTE Act पर लिखी पुस्तक ‘शिक्षा का अधिकार’ काफी प्रसिद्ध हुई और अनेक राज्य सरकारों ने इस पुस्तक को क्रय किया है। उनकी पुस्तकें मैथिली में भी प्रकाशित हो चुकी हैं। कुछ संक्षिप्त डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का भी निर्माण किया है।
‘सामयिक परिवेश’ एवं ‘खबर पालिका’ पत्रिकाओं का संपादन। अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं से संबद्ध।
संप्रति : निशक्त बाल शिक्षा एवं महिला अधिकारों से संबंधित कार्यों में संलग्न।
डॉ० पुष्करणा 47 वर्षों से अधिक समय से लघुकथा सृजन में जुटे हैं। अब तक इनके सात एकल लघुकथा संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं जबकि 2 दर्जन से अधिक लघुकथा संग्रह की पुस्तकों का इन्होंने संपादन किया है।
इस संग्रह के तीसरे लघुकथाकार डॉ० ध्रुव कुमार तीन दशक से रंगमंच, पत्रकारिता और साहित्य में समान रूप से सक्रिय हैं। इनकी विभिन्न विषयों की लगभग डेढ़ दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। लघुकथा लेखन के साथ-साथ यह आलोचना के क्षेत्र में भी पिछले एक दशक से काफी सक्रिय हैं।