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O Henry Ki Lokpriya Kahaniyan

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Author O Henry
Features
  • ISBN : 9789392013577
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
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  • Kindle Store

More Information

  • O Henry
  • 9789392013577
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2023
  • 152
  • Hard Cover
  • 300 Grams

Description

श्रेष्‍ठ कहानियाँ—“मेहरबानी करके दो बासी पावरोटी।“
यह तो बहुत अच्छी तसवीर है,मादाम!”मिस मार्था जब रोटी लपेट रही थीं तो उसने कहा।“हाँ।”
मिस मार्था ने अपनी ही चालाकी पर खुश होते हुए कहा, “मुझे कला और (नहीं, अभी इतनी जल्दी ‘कलाकार’ कहना ठीक नहीं रहेगा) पेंटिंग बहुत अच्छे लगते हैं।” उसने शब्द बदलते हुए कहा, “तुम सोचते हो, यह एक अच्छी तसवीर है?”
“महल,” ग्राहक ने कहा, “यह अच्छी नहीं बनी है। इसका परिप्रेक्ष्य सही नहीं है। गुड मॉर्निंग, मादाम!”
—इसी संग्रह से
विश्‍व-प्रसिद्ध अमेरिकी साहित्यकार ओ. हेनरी को एक मुकदमे में तीन वर्ष जेल में बिताने पड़े। यहाँ एक सदाचारी कैदी के रूप में रहते हुए उन्हें गरीबों और दबे-कुचलों के प्रति दया-भाव उत्पन्न हुआ और फिर यहीं से उनकी उत्कृष्‍ट कहानियों का जन्म हुआ। उपदेशपरक, मनोरंजक एवं आह्लादकारी कहानियों का संग्रह।

The Author

O Henry

जन्म 11 सितंबर, 1862 को ग्रींसबरो, उत्तर कैरोलिना में हुआ। 16 वर्ष की उम्र में उन्होंने स्कूल छोड़ दिया, पर उनकी पढ़ने-लिखने की लगन नहीं छूटी। 19 वर्ष की अवस्था में वह अपना स्वास्थ्य सुधारने के लिए टेक्सास चले गए। अपने 15 वर्ष के टेक्सास प्रवास में उन्होंने विवाह किया और एक पुत्री के पिता बने।
उनकी ‘हृदय परिवर्तन’ कहानी के आधार पर खेला गया ‘उर्फ जिम्मी वैलंटाइन’ नामक नाटक उस समय का सर्वश्रेष्‍ठ नाटक सिद्ध हुआ।
ओ. हेनरी की लेखन कला उनकी दूसरी पुस्तक ‘द फोस मिलियन’ में निखर उठी, जिससे उन्हें बड़ी लोकप्रियता मिली। 40 वर्ष बाद उनकी ‘उपहार’ कहानी पर चलचित्र बना। उनकी अन्य कहानियों के कई संकलन प्रकाशित हुए, जैसे ‘स्नेह दीप’ (1907), ‘पश्‍च‌िम की आत्मा’ (1907), ‘शहर की आवाज’ (1908), ‘भाग्य-चक्र’, ‘विकल्प’ (1909), ‘धंधे की बात’, ‘जीवन-चक्र’ (1910)। उनकी मृत्यु के बाद तीन पुस्तकें और छपीं—‘सफेदपोश ठग’, ‘आवारा’ और ‘भूले-भटके’।47 वर्ष की छोटी सी आयु में 5 जून, 1910 को उनका देहावसान हो गया।

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