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“अर...र, कौन बोल रहा है?” ईशा ने कहा। “भगवान्।” आवाज ने कहा। “भगवान्? भगवान् जैसे कि...” राधिका ने कहा, जैसे ही हम सब तेज चमक रहे फोन को डर के मारे देख रहे थे। “जैसे कि भगवान्। मैंने यहाँ पर बहुत अजीब परिस्थिति देखी, इसलिए मैंने सोचा कि तुम लोगों का निरीक्षण कर लूँ।” “कौन है यह? यह क्या मजाक है?” व्रूम ने कड़क आवाज में कहा। “क्यों? क्या मैं तुम्हें मजाकिया लग रहा हूँ? मैंने कहा न कि मैं भगवान् हूँ।” आवाज ने कहा। —इसी उपन्यास से
आई.आई.टी./आई.आई.एम. (अहमदाबाद) के स्नातक चेतन भगत ने अपने पहले ही उपन्यास से साहित्यिक क्षितिज पर अपनी उपस्थिति इस धमाकेदार तरीके से दर्ज करवाई कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने उन्हें ‘भारतीय इतिहास में सर्वाधिक बिकनेवाला उपन्यासकार’ का खिताब दे दिया। उनके दो अन्य उपन्यासों ‘वन नाइट ञ्च द कॉल सेंटर’ तथा ‘द थ्री मिस्टेक्स इन माई लाईफ’ ने अपार लोकप्रियता अर्जित की है और इनपर शीघ्र ही हिंदी फिल्में भी प्रदर्शित होनेवाली हैं।
ग्यारह वर्ष हांगकांग में रहने के बाद वर्ष 2008 में चेतन वापस मुंबई आ गए, जहाँ वह ‘इन्वेस्टमेंट बैंकर’ का काम करते हैं। लेखन के अलावा इनकी रुचि पटकथा व अध्यात्म में भी है।
चेतन आई.आई.एम. की अपनी सहपाठी अनुषा से विवाहित हैं और अपने दो पुत्रों—ईशान तथा श्याम के साथ मुंबई में रहते हैं।
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