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Author Devendra Swarup
Features
  • ISBN : 9789390923182
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more

More Information

  • Devendra Swarup
  • 9789390923182
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2021
  • 312
  • Hard Cover

Description

प्रो. देवेंद्र स्वरूप—इतिहासकार, पत्रकार, अध्यापक, चिंतक, लेखक—72 वर्ष के सार्वजनिक जीवन में हजारों लोगों से संपर्क; सभी से आत्मीय संबंध पर उनमें से कुछ से अधिक प्रभावित। उनके द्वारा लिखे गए कुछ संस्मरणों में किसी व्यक्ति पर ही नहीं, वरन् तात्कालिक परिस्थितियों एवं कालखंड पर भी टिप्पणी होती हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की व्यक्तित्व-निर्माण की पद्धति की झलक और इस निर्माणशाला से निकले लोगों द्वारा खड़े किए गए कुछ प्रकल्पों की जानकारी। सामाजिक एवं राष्ट्रीय कार्यों में जीवन खपाने वाली कुछ विभूतियों का परिचय। पठनीय ग्रंथ।

The Author

Devendra Swarup

देवेंद्र स्वरूप
जन्म : 30 मार्च, 1926 मुरादाबाद (उ.प्र.) के कांठ कस्बे में।
प्रारंभिक शिक्षा कांठ और चंदौसी के विद्यालयों में। लखनऊ विवि से इतिहास में एम.ए.। सन् 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में सहभागी होने के कारण दो बार विश्वविद्यालय से निष्कासन हुआ। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से बी.एस-सी. करते-करते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पूर्णकालिक कार्यकर्ता बनने का संकल्प लिया।
कृतित्व : सन् 1947 से 1960 तक संघ के प्रचारक रहे। महात्मा गांधी की हत्या के पश्चात् संघ पर लगे पहले प्रतिबंध के दौरान 6 माह तक कारावास में बंदी। संघ की योजना से सन् 1958 में हिंदी साप्ताहिक ‘पाञ्चजन्य’ के संपादन से जुड़े। सन् 1964 में दिल्ली विश्वविद्यालय के पी.जी.डी.ए.वी. कॉलेज में इतिहास विभाग में प्राध्यापक नियुक्त हुए, सन् 1991 में सेवानिवृत्त। इस दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष रहे। सन् 1968 से 1972 तक अवैतनिक संपादक के रूप में ‘पाञ्चजन्य’ का संपादन कार्य भी किया। आपातकाल में फिर बंदी बनाए गए। सन् 1980 से 1994 तक दीनदयाल शोध संस्थान के निदेशक व उपाध्यक्ष रहे। इस दौरान संस्थान की त्रैमासिक पत्रिका ‘मंथन’ (हिंदी व अंग्रेजी) के संपादन का कार्य किया। इतिहासकार के रूप में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् से भी जुड़े रहे। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में 2000 से अधिक प्रकाशित लेख। अपने जीवनकाल में पद-पुरस्कार-सम्मान के सभी आग्रहों को विनम्रतापूर्वक अस्वीकार किया। राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री (मरणोपरांत) से सम्मानित।
स्मृतिशेष : 14 जनवरी, 2019।

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