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जीवन में शुभ के आगमन का प्रतीक है पद्म पुष्प। शुद्ध रूप में दैवी और आध्यात्मिक शक्तियोंवाला पुष्प। जल में उत्पन्न, नौ ग्रहों से जुड़ा, ऊर्जा का केंद्र। ऐसे कमल पुष्प के गुणों से युक्त महारानी पद्मावती और पद्मावती के अंदर की अग्नि! आश्चर्य है, कभी इस ओर ध्यान क्यों नहीं गया!
चित्तौड़गढ़ के दुर्ग के आसपास फैले छोटे-छोटे ताल-जलाशय मानो पद्मावती की कथा को बूँद-बूँद में समाहित किए हैं। धरती के चप्पे-चप्पे पर वही गाथा लिखी हुई है। आकाश ऊपर से नीचे आकर अपने मन की बात कहना चाहता है। वायु कान में प्रवेश कर पद्मिनी की कहानी सुनाती है।
और अग्नि?
अनवरत ऊर्ध्व-गमन अग्नि की स्वाभाविक प्रकृति है।
अग्नि का जो नाता है पद्मावती से, क्या उसे कहने की जरूरत है?
क्या जौहर कुंड के पास आज भी गरम हवा का अहसास नहीं होता? क्या आज भी नारी पर होनेवाले अत्याचार की बात सुनते ही दाह का अनुभव नहीं होता? क्या रानी पद्मावती द्वारा प्रज्वलित अग्नि आज भी जल नहीं रही है?
रानी पद्मावती के अद्भुत शौर्य, समर्पण और जिजीविषा का दिग्दर्शन कराता मार्मिक एवं हृदय-स्पर्शी उपन्यास।
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अनुक्रम
प्रथम साक्षात्कार —Pgs.5
1. सत्य —Pgs.11
2. शिव —Pgs.69
3. सौंदर्य —Pgs.136
4. और अंत में... 206
डाॅ. कामना सिंह
जन्म : आगरा (उ.प्र.)।
शिक्षा : एम.ए. (दर्शनशास्त्र, हिंदी), पी-एच.डी. (दर्शनशास्त्र, हिंदी), बी.ए., एम.ए. (द्वय) की परीक्षा में विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान सहित अनेक स्वर्ण पदक।
बच्चों एवं बड़ों के लिए समान दक्षता से लेखन।
प्रकाशित बाल-साहित्य : चर्चित लोकप्रिय पंद्रह पुस्तकें प्रकाशित।
पुरस्कार-सम्मान : उ.प्र. हिंदी संस्थान, लखनऊ से नामित सूर पुरस्कार तथा निरंकार देव सेवक बाल साहित्य इतिहास लेखन सम्मान। ‘हवा को बहने दो’ को राष्ट्रीय पुरस्कार।
विशेष : पत्र-पत्रिकाओं में व्यापक प्रकाशन। ‘बोल मेरी मछली’ पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में शोध कार्य। पाठ्यक्रम में रचनाओं का संकलन।
अनेक कला प्रदर्शनियों में सहभागिता।