Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Pagha Jori-Jori Re Ghato   

₹350

Out of Stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Rose Kerketta
Features
  • ISBN : 9789353223526
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Rose Kerketta
  • 9789353223526
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2019
  • 152
  • Hard Cover
  • 175 Grams

Description

रोज ने अपने कथा-संग्रह में आदिवासी जीवन को सघनता और संपूर्णता के साथ शामिल किया है। जो जिया है, उसे ही लिखा है। संग्रह में व्यापकता है, विविधता है, आधुनिकता है, और जो सबसे बड़ी बात है, वह है प्रतिरोध का राजनीतिक स्वर। इसमें हिंदी साहित्य में चल रहे स्त्री विमर्श से अलग ढंग की कहानियाँ हैं, जो पुरुष के विरोध में नहीं, व्यवस्था के विरोध में खड़ी हैं। यहाँ अलग तरह का नारीवाद है। जल, जंगल, जमीन पर हो रहे हमले के खिलाफ लड़ता हुआ नारीवाद।

—वीरभारत तलवार 

ऐसे मौसम में जबकि रचनात्मकता में एक प्रकार का सुखाड़ एवं अकाल है, रोज दी ने वैसी कहानियाँ दी हैं, जो बिल्कुल ही एक नए स्वाद की कहानियाँ हैं। समाज में जो लड़ाई है, उस लड़ाई को ताकत देने के लिए यह किताब है।


—किशन कालजयी

रोज दी की प्रमुख विशेषता यह है कि वे कहानियाँ लिखती नहीं कहती हैं, यानी एक कहानीकार का पाठक के साथ जो एक संवाद हो सकता है, पाठक में जो विश्वास हो सकता है, पाठक के साथ जो साझेदारी या भागीदारी हो सकती है, वह रोज दी की कहानियों में दिखती है। उनका जो देशज स्वर है, वह सीमित भौगोलिक दायरे में नहीं सिमटता है। हिंदी में जनजातीय पात्रों को लेकर जो कहानियाँ लिखी गई हैं, ये कहानियाँ उनसे भिन्न हैं।

—रविभूषण

इस कथा-संग्रह से गुजरते हुए आदिवासी समाज की वाचिक परंपरा-किस्सागोई का आस्वाद अनायास हमारे मन-मस्तिष्क को भिगोता है। इन कहानियों में लेखिका ने शिल्प के लिए कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं किया है। कथ्य के साथ सादा-सा शिल्प सहज रूप से आया है। एक नैसर्गिक आदिवासी सादगी मौलिकता-सहजता के साथ।

—रणेंद्र

____________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________

अनुक्रम

दो शब्द —Pgs. 7

1. भँवर —Pgs. 13

2. घाना लोहार का —Pgs. 21

3. केराबांझी —Pgs. 29

4. कोंपलों को रहने दो —Pgs. 35

5. छोटी बहू —Pgs. 43

6. गंध —Pgs. 52

7. आँचल का टुकड़ा —Pgs. 55

8. भाग्य —Pgs. 68

9. बाही —Pgs. 78

10. से महुआ गिरे सगर राति —Pgs. 85

11. लत जो छूट गई —Pgs. 91

12. मैना —Pgs. 97

13. संगीत-प्रेम ने प्राण लिये —Pgs. 106

14. बीत गई सो बात गई —Pgs. 115

15. दुनिया रंग रंगीली बाबा —Pgs. 129

16. पगहा जोरी-जोरी रे घाटो —Pgs. 142

The Author

Rose Kerketta

रोज केरकेट्टा
जन्म : 5 दिसंबर, 1940 को सिमडेगा (झारखंड) के कसिरा सुंदरा टोली गाँव में ‘खडि़या’ आदिवासी समुदाय में। 
शिक्षा : हिंदी में एम.ए. और पी-एच.डी.। 
कृतित्व : अध्यापन का पेशा। मातृभाषा खडि़या के साथ-साथ हिंदी भाषा-साहित्य को समृद्ध बनाने में इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। झारखंड की आदि जिजीविषा और समाज के महत्त्वपूर्ण सवालों को सृजनशील अभिव्यक्ति देने के साथ ही जनांदोलनों को बौद्धिक नेतृत्व प्रदान करने तथा संघर्ष की हर राह में आप अग्रिम पंक्ति में रही हैं।
प्रकाशन : ‘खडि़या लोक कथाओं का साहित्यिक और सांस्कृतिक अध्ययन’ (शोध-ग्रंथ), ‘प्रेमचंदाअ लुङकोय’ (प्रेमचंद की कहानियों का खडि़या अनुवाद), ‘सिंकोय सुलोओ, लोदरो सोमधि’ (खडि़या कहानी-संग्रह), ‘हेपड़ अवकडिञ बेर’ (खडि़या कविता एवं लोक कथा-संग्रह), ‘खडि़या निबंध संग्रह’, ‘खडि़या गद्य-पद्य संग्रह’, ‘जुझइर डांड़’ (खडि़या नाटक-संग्रह), ‘सेंभो रो डकई’ (खडि़या लोकगाथा), ‘स्त्री महागाथा की महज एक पंक्ति’ (वैचारिक लेख-संग्रह) एवं ‘बिरुवार गमछा तथा अन्य कहानियाँ’ (कथा-संग्रह)। इसके अतिरिक्त विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, दूरदर्शन तथा आकाशवाणी से भी सृजनात्मक विधाओं में हिंदी एवं खडि़या भाषाओं में सैकड़ों रचनाएँ प्रकाशित एवं प्रसारित।
संप्रति : सेवानिवृत्ति के पश्चात् स्वतंत्र लेखन एवं विभिन्न नागरिक संगठनों में सक्रिय भागीदारी। ‘आधी दुनिया’ का संपादन।
संपर्क : चेशायर होम रोड, बरियातु, राँची-834009 (झारखंड)

 

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW