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इस पुस्तक में सरकारी विद्यालयों में शैक्षणिक वातावरण विकसित करने हेतु शिक्षकों से अपील की गई है एवं संदेश दिया गया है कि वे (शिक्षक) जिन कार्यों को प्रतिदिन करते हैं, वे आसान नहीं हैं, परंतु वे (शिक्षक) चाहें तो आसान तरीके से कठिनतम कार्यों को भी कर सकते हैं। सरकारी विद्यालयों का शैक्षणिक वातावरण सिद्धांतों के आधार पर तैयार नहीं हो सकता है, बल्कि विद्यालयों की अवस्थिति, स्थानीय स्तर के लोगों, जनप्रतिनिधियों के साथ शिक्षकों, अभिभावकों, पदाधिकारियों के बीच समन्वय स्थापित कर व्यावहारिक पहलू पर विचार करते हुए पाठ्यक्रम व ज्ञान के क्षेत्रों को कार्यान्वित कराया जा सकता है। पूरे वर्ष के शैक्षणिक सत्र के लिए प्रतिदिन कुछ-न-कुछ नवाचार करते हुए शैक्षणिक गतिविधियों को समृद्ध करने के लिए बताए गए तरीकों का संग्रह भर है। यह पुस्तक शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाने और छात्रों के चहुंमुखी विकास के व्यावहारिक गुरुमंत्र को जानने की दृष्टि से यह पुस्तक पठनीय है।
संजय कुमार बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित होकर बिहार राज्य के बेगूसराय जिले के विभिन्न प्रारंभिक विद्यालयों में एक शिक्षक के रूप में 5 वर्षों की सेवा दे चुके हैं। इस दौरान इन्होंने विद्यालयों की समस्याओं और शैक्षणिक व्यवस्था को करीब से देखा और यह समझा कि इन समस्याओं के निराकरण का कौन सा उपाय सही हो सकता है। पुनः बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से वर्ष 2005 में बिहार शिक्षा सेवा के पदाधिकारी के रूप में चयनित होकर ये खगड़िया, समस्तीपुर, भागलपुर एवं सुपौल जिलों के सरकारी विद्यालयों में शैक्षणिक वातावरण समृद्ध करने का प्रयास करते रहे हैं। लेखक संप्रति बिहार पाठ्यपुस्तक प्रकाशन निगम लिमिटेड, पटना में विशेष कार्य पदाधिकारी के रूप में प्रतिनियुक्त हैं।
इनके प्रयासों से “Mission Possible Clean Office, Clean School; ‘आनंदशाला', 'चलो, चलें पाठशाला', 'पहल' आदि अनेक शैक्षणिक कार्यक्रम विभिन्न जिलों में संचालित हुए, जिनके सकारात्मक परिणाम दृष्टिगोचर हुए। ये भागलपुर जिले में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के पद पर पदस्थापित रहते हुए 24 मार्च, 2017 से एक पृष्ठ अपील/संदेश लिखकर WhatsApp के माध्यम से शिक्षकों को प्रेरित करते रहे हैं, जो अब भी जारी है। अपील/संदेश का सैकड़ों विद्यालयों/शिक्षकों पर गुणात्मक असर हुआ है। इनका उद्देश्य है कि सरकारी विद्यालयों में शैक्षणिक वातावरण समृद्ध हो, जिसका राज्य व देश के विकास पर सकारात्मक असर पड़े।