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Paharua Jan "पहरुआ जन" Book in Hindi- Mithileshwar
प्रख्यात कथाकार मिथिलेश्वर काउपन्यास ‘पहरुआ जन’ एकसमर्पित समाजसेवक के जीवन-संघर्षकी जीवंत कथा व्यक्त करते हुएसामाजिक विसंगतियों के खिलाफ उनकेसक्षम प्रतिकार को न सिर्फ उजागर करताहै, बल्कि समाज-सेवा और राजनीतिके अंतर्संबंधों को उद्घाटित करते हुएसमाज-सेवा के नए मूल्य स्थापितकरता है। इस रूप में सर्वथा नए विषयपर नूतन मूल्यों की स्थापना का यहउपन्यास भारतीय लोकतंत्र की बेहतरीके लिए अभीष्ट मार्ग प्रशस्त करता है।
इसके तहत भारतीय जीवन और समाजकी विकृतियों के सामूहिक विरोध कीमर्मस्पर्शी कथा पाठकीय मन को न सिर्फसंवेदित करती है, बल्कि विचारों के स्तरपर उन्हें उद्वेलित भी करती है। इस रूपमें रोचक किस्सागोई के तहत कथ्य कीनई जमीन पर सरस कथा-भाषा में सृजितयह हिंदी का अविस्मरणीय उपन्यासबनेगा, ऐसा विश्वास है।