Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Pairol Par Atma Stories Book In Hindi   

₹300

  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Release Date 22-10-2024
Author Shri K.P.S. Verma
Features
  • ISBN : 9789355626684
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Shri K.P.S. Verma
  • 9789355626684
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2024
  • 200
  • Soft Cover
  • 200 Grams

Description

"मैं उस आदमी से बहुत प्रभावित हुआ। कितनी अच्छी हिंदी बोलते हैं अंग्रेज होकर भी, भले बिहार में जनमे हों। मैंने बात आगे बढ़ाते हुए पूछा -

""आपका नाम ?""

""ऑरवेल, जॉर्ज ऑरवेल।""

""जॉर्ज ऑरवेल ! इसी नाम के एक महान् साहित्यकार हुए हैं। यहाँ आने से पहले मैंने उनकी पुस्तक '1984' पढ़ी है। जबरदस्त!""

""झा साहब, मैं वही जॉर्ज ऑरवेल हूँ।""

""इंपॉसिबल ! वह तो 1950 में ही मर चुके हैं।""

""नहीं, मैं सच बोल रहा हूँ। ऐसा होता है। एक तरह से आत्मा को पैरोल पर छोड़ा जाता है।""

राजेंद्र भाई, उसके बाद उसने कुछ ऐसा बताया कि मुझे मानने पर मजबूर होना पड़ा कि सामने बैठा शख्स सचमुच जॉर्ज ऑरवेल की आत्मा ही है।

- इसी संग्रह से

इस संकलन की नौ कहानियाँ मन के खेल के जरिए आपको जिंदगी की ऐसी ही टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडियों पर ले जाएँगी। आशा है, सफर मनोरंजक होगा। कुछ कहानियाँ लंबी हैं, जिन्हें उपन्यासिका बोला जा सकता है, पर उनमें उतनी ही ज्यादा मन की गहराइयाँ नापने की संभावनाएँ हैं।"

The Author

Shri K.P.S. Verma

जन्म 10 जनवरी, 1949 को उत्तर प्रदेश में एटा जिले के जलालपुर गाँव में हुआ। 1970 में मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग आई.आई.टी., रुड़की (तब रुड़की विश्व-विद्यालय) से और दो वर्ष बाद मेटलर्जी में ही आई.आई.टी., कानपुर से एम.टैक. किया। 1973 में बोकारो स्टील प्लांट में इंजीनियर और फिर 1981 में यू.पी.एस.सी. से चयनित होकर रेलवे में केमिस्ट ऐंड मेटलर्जिस्ट के पद पर नौकरी शुरू की। अनेक उच्च पदों पर काम करने के बाद आर.डी.एस.ओ., लखनऊ से 31 जनवरी, 2009 को कार्यकारी निदेशक पद से सेवा निवृत्ति ली।
लेखन और साहित्य में रुचि छात्र जीवन से ही थी। साहित्यिक अभिरुचि के चलते 1986-88 के बीच रेलवे के बंगलौर स्थित पहिया-धुरा कारखाने में राजभाषा सचिव का अतिरिक्त कार्यभार मिला। उसी समय रेल मंत्री का हिंदी विभाग में उच्चस्तरीय कार्य के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। 
सेवा निवृत्ति के बाद साहित्यिक अभिरुचि को गंभीर आयाम मिला और फेसबुक आदि में रचनाएँ नियमित रूप से प्रस्तुत करना प्रारंभ किया। यह पुस्तकाकार पहली कृति है।

 

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW