डॉ. सूर्यबाला की ये पाँच लंबी कहानियाँ मनोवैज्ञानिक धरातल पर मानसिक अंतर्दशाओं का अभिव्यंजन करती हैं । ' गृह प्रवेश ' आर्थिक दबाव में अनचाहे समझौतों की विवशता का आख्यान है । ' भुक्खड़ की औलाद ' एक शिक्षित, किंतु बेरोजगार व्यक्ति की करुण त्रासदी है, जो पारिवारिक ममता और मानवीय संवेदना को तिलांजलि देकर भी जीवन की दारुण परिणतियों से बच नहीं पाता । ' मानसी ' में किशोर मन को उस निगूढ़ भावानुभूति का चित्रण है, जो नीति, उम्र और आचार-संहिता के पर आजीवन अभिन्न सहचरी बनी रहती है । ' मटियाला तीतर ' एक अशिक्षित, किंतु बुद्धिमान और स्वाभिमान बालक का आख्यान है, जो आर्थिक विपन्नता में भी पारिवारिक प्रेम, आत्माभिमान और मुक्त जीवन- शैली को नहीं भूल पाता । तथाकथित सभ्य परिवार के छद्म से आहत होकर वह जीवन से ही विमुख हो जाता है । ' अनाम लमही के नाम ' में मध्य वर्गीय संकुचित मनोवृत्ति, स्वार्थपरता, संवेदनशून्यता, अमानवीय अवसरवादिता के चित्रण के साथ नई पीढ़ी पर उसके कुप्रभावों का रेखांकन है ।
इन कहानियों में संस्मरणात्मक और रेखाचित्रात्मक संस्पर्श होने के कारण अनुभूति की प्रामाणिकता निखर गई है । ये कहानियाँ जहाँ मानव मन की संवेदनात्मक प्रतिक्रियाओं का मनोवैज्ञानिक आख्यान प्रस्तुत करती हैं वहीं विभिन्न अनुषंगों से युग व्यापी मूल्यहीनता, भ्रष्टता, सांप्रदायिक संकीर्णता, आाइ र्थक विपन्नता, मानवीय संबंधों की कृत्रिमता, अमानवीय स्वार्थपरता जैसी पारिवेशिक विशेषताओं का प्रभावी चित्रण करती हैं । ये कहानियों अपनी वस्तु और शिल्पगत नवता में संवेदनात्मक चेतना से संपन्न अभिनव पाठकीय संस्कार की तलाश करती प्रतीत होती हैं । -रामजी तिवारी
जन्म : 25 अक्तूबर, 1943 को वाराणसी (उ.प्र.) में।
शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी. (रीति साहित्य—काशी हिंदू विश्वविद्यालय)।
कृतित्व : अब तक पाँच उपन्यास, ग्यारह कहानी-संग्रह तथा तीन व्यंग्य-संग्रह प्रकाशित।
टी.वी. धारावाहिकों में ‘पलाश के फूल’, ‘न किन्नी, न’, ‘सौदागर दुआओं के’, ‘एक इंद्रधनुष...’, ‘सबको पता है’, ‘रेस’ तथा ‘निर्वासित’ आदि। अनेक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में सहभागिता। अनेक कहानियाँ एवं उपन्यास विभिन्न शिक्षण संस्थानों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित। कोलंबिया विश्वविद्यालय (न्यूयॉर्क), वेस्टइंडीज विश्वविद्यालय (त्रिनिदाद) तथा नेहरू सेंटर (लंदन) में कहानी एवं व्यंग्य रचनाओं का पाठ।
सम्मान-पुरस्कार : साहित्य में विशिष्ट योगदान के लिए अनेक संस्थानों द्वारा सम्मानित एवं पुरस्कृत।
प्रसार भारती की इंडियन क्लासिक श्रृंखला (दूरदर्शन) में ‘सजायाफ्ता’ कहानी चयनित एवं वर्ष की सर्वश्रेष्ठ फिल्म के रूप में पुरस्कृत।
इ-मेल : suryabala.lal@gmail.com