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ज़िंदगी जीने की तकनीक भले ही सबको समझ न आई हो, पर तकनीक बहुत गहराई से जिंदगी में घुस गई है। मोबाइल फोन जीवनसाथी से भी बड़ा जीवनसाथी हो गया है—24×7 का साथ है। नई पीढ़ी को फ्रेंडशिप के नाम पर फेसबुक याद आने लगता है। बहुत चीजें बदली हैं, पर बहुत चीजें नहीं भी बदली हैं। यह असंभव है कि जिसके फेसबुक पर पाँच हजार फ्रेंड हों, मौके-जरूरत पर उसे चार फ्रेंड का साथ भी उपलब्ध न हो। नई पीढ़ी नए फेसबुक के संदर्भ में नई फ्रेंडशिप के आशय को बखूबी समझने की कोशिश कर रही है। यह व्यंग्य-संग्रह बदलती तकनीक के संदर्भ में बुनियादी मानवीय रिश्तों को जानने-समझने की कोशिश करता है। बाजार, तकनीक के बदलावों ने इनसान को किस तरह से बदला है और कहाँ से न बदल पाया है, इसका लेखा-जोखा इस संग्रह में है। बदलते समाजशास्त्र-अर्थशास्त्र को पकड़ने की कोशिश आलोक पुराणिक ने इस व्यंग्य-संग्रह में की है। वे इस काम को बेहतर तरीके से इसलिए कर पाते हैं कि वे एक तरफ कॉमर्स के एसोसिएट प्रोफेसर हैं, तो दूसरी तरफ समाज, तकनीक के महीन बदलावों पर पैनी नजर रखनेवाले व्यंग्यकार। बदलती तकनीक, बदलते बाजार के आईने में बदलते समाज को समझने के लिए यह व्यंग्य-संग्रह पढ़ना जरूरी है। व्यंग्य-संग्रह पूरा पढ़ने के बाद सिर्फ हँसी ही आपके साथ नहीं होगी, बल्कि अपने वक्त के बारे में ज्यादा समझदारी भी आप पैदा कर चुकेंगे।
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अनुक्रम | |
1. पापा रिस्टार्ट नहीं हुए... 11 | 41. टनाटन शव-यात्रा मैनेजमेंट — Pgs. 102 |
2. मरने का फोटू — Pgs. 14 | 42. गांधीजी का संदेश — Pgs. 104 |
3. नेता 7.0 वर्जन — Pgs. 16 | 43. रेस्टरूम माने क्या? — Pgs. 106 |
4. टाई में सेल्स — Pgs. 18 | 44. महानगर में पानी — Pgs. 108 |
5. प्रतिशत में क्या रखा है — Pgs. 20 | 45. नालीमय शहर उर्फ इंडियन वेनिस — Pgs. 110 |
6. युगांडा भी तो है — Pgs. 22 | 46. आइए कूल फोटू देखें — Pgs. 112 |
7. घोषणा उर्फ पत्र ओनली — Pgs. 24 | 47. मोबाइल पर ललित निबंध — Pgs. 114 |
8. जुल्फों में संविधान — Pgs. 26 | 48. पल्स पोल — Pgs. 116 |
9. बेइज्जत सम्मानशुदा — Pgs. 28 | 49. साड़ी संहिता — Pgs. 118 |
10. स्टिंग प्रश्नावली — Pgs. 30 | 50. सत्यनारायण कथा—2016 — Pgs. 121 |
11. उफ्फ, ध्यान रखिएगा — Pgs. 32 | 51. शादी उर्फ रोजगार उर्फ सोल्यूशन — Pgs. 124 |
12. अकबर का लिप-लॉक — Pgs. 34 | 52. किस्सा ए-कोलस्ट्रोल — Pgs. 126 |
13. हाय बिन उल्लू — Pgs. 36 | 53. बिप्स के लिप्स की टिप्स... 128 |
14. राष्ट्रीय तो कोल्ड ड्रिंक ही है — Pgs. 38 | 54. शुभ मंगल सावधान — Pgs. 130 |
15. उफ्फ, इतना ईमान! — Pgs. 40 | 55. कुछ फेयर और हैंडसम प्रश्नोत्तर — Pgs. 132 |
16. रिचार्ज का भंडारा — Pgs. 42 | 56. कजिन कलेश — Pgs. 134 |
17. नेतागिरी मोबाइल वर्जन 7.0 — Pgs. 44 | 57. सेन्सेक्सी माइक्रोसॉफ्टी... 136 |
18. थोड़ा सा सन-सेट — Pgs. 46 | 58. हम ही नीच नहीं गालिब — Pgs. 138 |
19. ज्ञान के खतरे — Pgs. 48 | 59. एकला चलो रे और फूँ-फाँ मोटरसाइकिल — Pgs. 140 |
20. दंगा कैंप राहत में तीन मंत्री — Pgs. 50 | 60. इनवेस्टर और सेनसेक्स क्रैश गीता — Pgs. 142 |
21. डिलीट लव लेटर — Pgs. 52 | 61. अदा फोटू खिंचाने की — Pgs. 144 |
22. बुरा ना मानो, स्टिंग है — Pgs. 54 | 62. दिल्ली का बैड लक — Pgs. 146 |
23. च्यवनप्राश के सहारे — Pgs. 56 | 63. स्टेट्स की बैटरी — Pgs. 148 |
24. वोट बैंक के एटीएम — Pgs. 58 | 64. हड़प्पा-काल का लाइव शो — Pgs. 150 |
25. हवाई यात्रा को धाँसू-धमालयुक्त बनाएँ—आठ मिनट का क्रैश कोर्स — Pgs. 60 | 65. बिजली-गीता का दर्शन — Pgs. 152 |
26. पतली गली से लुच्चत्व का हाईवे — Pgs. 63 | 66. चाय न पीनेवालों का ईमान — Pgs. 154 |
27. अधेड़ावस्था उर्फ आलिया भट्ट कौन हैं? — Pgs. 65 | 67. फास्ट दिन और धीमे दिन — Pgs. 156 |
28. कंप्यूटरेश्वर महाराज — Pgs. 68 | 68. चीन का एप्पल, चीन का टमाटर — Pgs. 158 |
29. रिश्वत प्रदीपिका — Pgs. 71 | 69. ड्रोन पर कटिया — Pgs. 160 |
30. लेपार्टी और नोपार्टी की कथा — Pgs. 74 | 70. गर्लफ्रेंड के सामने की महँगाई — Pgs. 161 |
31. प्रेम मंत्रालय का प्रेम कर — Pgs. 77 | 71. मार्केटिंग के यक्ष-प्रश्न — Pgs. 163 |
32. पुनर्जन्म, आत्मा—कतिपय प्रश्नोत्तर — Pgs. 81 | 72. शिष्टाचार की तारीफ रेखा — Pgs. 165 |
33. एसएमएस शो — Pgs. 84 | 73. स्टे-ऑर्डर विद बेबी-केयर — Pgs. 167 |
34. एक लेखक की आदर्श वसीयत — Pgs. 87 | 74. फेसबुक पर मम्मी फ्रेंड — Pgs. 169 |
35. अपने-अपने गांधीजी — Pgs. 90 | 75. ट्विटर में यमराज — Pgs. 171 |
36. धूप पर टैक्स — Pgs. 92 | 76. टमाटर टूरिज्म, प्याज विजिट — Pgs. 173 |
37. बोफोर्स से एक इंटरव्यू — Pgs. 94 | 77. लव में सिंगल — Pgs. 175 |
38. दौड़ तो लें, मगर... 96 | 78. एयरपोर्ट स्तर के खतरे — Pgs. 177 |
39. सौ रुपए लीटर पेट्रोल पंप उर्फ पब्लिक की भलाई — Pgs. 98 | 79. राहजनों का रजिस्ट्रेशन — Pgs. 179 |
40. बिजली चिंतन — Pgs. 100 | 80. सड़क-मुक्त गड्ढे — Pgs. 181 |
जन्म : 30 सितंबर, 1966, आगरा।
शिक्षा : एम.कॉम., पी-एच.डी.।
रचना-संसार : ‘नेकी कर अखबार में डाल’, ‘लव पर डिस्काउंट’, ‘बालम तू काहे ना हुआ एनआरआई’, ‘नेता बनाम आलू’, ‘व्हाइट हाउस में रामलीला’, ‘मर्सीडीज घोड़े बनाम 800 सीसी घोड़े’ (व्यंग्य-संग्रह); नवभारत टाइम्स, दैनिक हिंदुस्तान, राष्ट्रीय सहारा, दैनिक ट्रिब्यून, आई नेक्स्ट समेत कई अखबारों में नियमित व्यंग्य-कॉलम लेखन; करीब दो हजार व्यंग्य-लेख प्रकाशित। सब टीवी, सहारा न्यूज, जी न्यूज पर व्यंग्य-पाठ।
पुरस्कार-सम्मान : ‘आर्थिक पत्रकारिता’ पुस्तक पर ‘भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार’, हिंदी अकादमी दिल्ली का ‘हास्य-व्यंग्य सम्मान’, ‘काका हाथरसी पुरस्कार’, ‘व्यंग्यकार के.पी. सक्सेना सम्मान’।
संप्रति : दिल्ली विश्वविद्यालय के महाराजा अग्रसेन कॉलेज के कॉमर्स विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर।