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परम विशिष्ट आध्यात्मिक विभूतियों में से एक श्री श्री परमहंस योगानंदजी द्वारा दी गई शिक्षाएँ तथा कालजयी विचार धर्म, दर्शन, विज्ञान, मनोविज्ञान, शिक्षा आदि क्षेत्रों के लिए समान रूप से सार्थक और स्तुत्य हैं। उन्होंने विदेशों में क्रिया, योग, विज्ञान तथा अध्यात्म के क्षेत्र में जो उल्लेखनीय योगदान दिया, उसे भुलाया नहीं जा सकता ।
पूज्य परमहंस योगानंद ने 'योगदा सत्संग सोसाइटी' तथा 'सेल्फ रियलाइजेशन फैलोशिप' नामक संस्थाओं की स्थापना की। ये संस्थाएँ अपने जगद्गुरु के संदेशों तथा विचारों को मौलिक व प्रामाणिक रूप में पूरे विश्व में प्रचारित करने के लिए कटिबद्ध हैं । इस पुस्तक को तैयार करने में स्वामीजी की इन्हीं संस्थाओं से प्रकाशित पुस्तकों से मदद ली गई है - विशेष रूप से पूज्य स्वामीजी द्वारा लिखित 'योगी कथामृत' से। इस पुस्तक में स्वामी योगानंदजी के विचारों को ही मूर्त रूप प्रदान किया गया I
त्याग, तपस्या, संयम, योग, अध्यात्म से अनुप्राणित पूज्य स्वामी परमहंस योगानंद का अद्भुत चरित्र-चित्रण, जो सामान्य जन को प्रेरित करेगा और एक आदर्श मानव बनने कामार्ग प्रशस्त करेगा।
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी), पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा।
रचना-संसार : जीवनी साहित्य पर बीस पुस्तकें, लगभग 45 पुस्तकों का अंग्रेजी से अनुवाद; उल्लेखनीय पुस्तकें—‘प्रयास’ (लघुकथा-संग्रह), ‘याज्ञसेनी’ (उपन्यास); क्या है विदुर नीति में, हमारे प्रेरणा-स्रोत, भारतीय संतों की अमर गाथा, गृहिणी—एक सुपर वूमन, जयंतियाँ और दिवस, विशाल भारत की लोककथाएँ, महान् भारतीय संस्कृति, विशाल भारत को जानें, विशाल भारत के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री, भक्तजननि माँ शारदा, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, भगिनी निवेदिता, मैडम भीकाजी कामा, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, शिरडी के साईं बाबा (जीवनियाँ); हिंदुत्व, पत्र और पत्रकारिता, प्रदूषण-मुक्त पर्यावरण, हिंदी पत्रकारिता, नॉस्त्रेदेमस की विचित्र भविष्यवाणियाँ, तिल रहस्य व हाव-भाव विचार (विविध विषय); रामायण व महाभारत की प्रेरक, पौराणिक व शिक्षाप्रद कथाएँ (बालोपयोगी); बीरबल, हितोपदेश, पंचतंत्र, विक्रम-बेताल श्रृंखला। नवसाक्षर बाल साहित्य, विविध पाठ्य पुस्तकों का अनुवाद व संपादन। अनेक अनुवाद कार्य व पुस्तकें प्रकाशनाधीन।