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"भिखना पहाड़ी' एवं 'रुकना नहीं राधिका' जैसे बेस्टसेलर कहानी- संग्रह की विविध कहानियों के माध्यम से पाठकों के बीच निरंतर लोकप्रियता हासिल करने वाले कथाकार रमेश चंद्र आज हिंदी के सर्वाधिक पढ़े-सराहे जाने वाले कथाकारों में से एक हैं।
सहज-सरल देशज एवं लोकभाषा के शब्दों के साथ-साथ इनकी मुहावरेदार कहन- शैली, दृश्यमान बिंबों की स्थापना, पात्रों के बीच संवाद अदायगी की अनूठी शैली इन्हें विशिष्ट पहचान दिलाने एवं अप्रतिम रचनाकार बनाने में सहायक हैं।
गाँव-समाज के किसानों मजदूरों की व्यथा, निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों के संघर्ष, पलायन, बदलते परिवेश के साथ-साथ नगरीय जीवन की भाग-दौड़, युवा पीढ़ी के संघर्ष, कुंठा-संत्रास व आधुनिक भावबोधों के सजीव चित्रण से संग्रह की कहानियाँ पाठकों को अपनी आपबीती-सी प्रतीत होती हैं।
कथाकार रमेश चंद्र की 17 कहानियों का नवीन संकलन 'पारसमणि' निश्चित रूप से पाठकों के बीच लोकप्रियता के नए कीर्तिमान स्थापित करेगा, ऐसा विश्वास है।
- डॉ. ज्ञानदेवमणि त्रिपाठी
शिक्षाविद्"