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विज्ञान का मनमोहक नाम इक्कीसवीं सदी की चर्चाओं में इतना अधिक प्रभावी हो गया है कि साहित्यकार इसके प्रभाव से अछूता नहीं रह सकता। इसका असर इस उपन्यास में नजर आएगा। सत्य और सौंदर्य की तलाश में नायक, चित्रकार अभय अंतरिक्ष और आसमान के उस पार ‘एल्यिंज’—परग्रहियों के होने के विश्वास में उनके चित्र बनाता है। उसकी सोच में इंद्र के अखाड़े की अप्सराएँ आ जाती हैं। इस सोच की गहराई में वह इस कदर डूब जाता है कि अपने अस्तित्व की सच्चाई का ध्यान आते हुए भी उसे चमत्कार से कम नहीं समझता। अपने अतीत, असंतोष से भी छुटकारा पा लेता है। चाँद, तारों और मंगल आदि ग्रहों पर प्राणियों के होने या न होने की अनिश्चितता, पृथ्वी के बीच पनपी दुर्दशा की समस्या का समाधान उसके दिल और दिमाग को झकझोर कर रख देता है। इस उपन्यास में कई जगह घटनाक्रम तथा समय के अनुकूल उर्दू के शायरों के शेर तथा हिंदी कविताओं के कुछ अंश कथानक की रोचकता बढ़ाते हैं। उपन्यास का नायक अंतर्विरोध के चक्रव्यूह से बाहर कैसे निकलता है, यह भी इस कथा की खूबी है।
अज्ञात, परंतु अत्यंत रुचि के विषय ‘एलियन’ यानी परग्रही को केंद्र में रखकर लिखा गया पठनीय उपन्यास
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अनुक्रम
विषय प्रवेश—5
1. सितारों से पूछिए—11
2. गगन-धरा के प्रणय मिलन—18
3. दोनों हैं आमने-सामने—33
4. वैदिक कालीन पौराणिक कथा —46
5. अग्निहोत्री की उपज संसार—50
6. धरती को आकाश पुकारे—52
7. पुरानी दिनचर्या, नई लगन—58
8. दूरियाँ अब कैसी?—71
9. कला की सार्थकता—79
10. इसरार में प्यार भी है—82
11. प्रकृति के रंगमंच पर—86
12. अंतर्दृष्टि के स्वप्न—91
13. यादों की मार्मिक अभिव्यति—99
14. गंगा गई या?—118
15. इच्छाशति—133
16. सहारा सपनों का—146
17. बातें हैं, बातों का या?—150
18. वे यों नहीं आते?—158
19. ये मंजिलें कुछ कम नहीं!—172
20. तुम रहे न तुम—180
21. दर्द के मारों को हमदर्द चाहिए—190
22. पुरानी दास्तान नए अंजाम—205
23. दुविधा के स्वर—222